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. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १११ मांग लियो छ । ते आग ऊमरकोट सोढांरै वडा वडा घोडा छ ।' तै भाभैजो कनां मांग लियो छ । ताहरा कह्यो-'इतरै ऊठे सिलह क्युं छै ?' ताहरां कहियो-'म्हारै वैर-वाढ छ । राजा छां, साथै सिलह चाहीजै हीज ।'
इतरो पूछि अर असवारां जाय राव खींवैनू कह्यो-'जु, कोई उपद्रव छै, साथ वहै छ। कहै-नरो वीकावत अमरकोट परणीजण जावै छै । मौड़ बांध, केसरिया कियां, खंभायच गाईजै छै । इण तरहसू वहै छै। घोड़ो पण कोड़ीधज छै । कहै-'म्है माग ल्याया
छा।"
यु विचार करै छै । तितरै नरो पोकरण जाय पुहतो ।' आगे प्रोहित जायनै प्रोळियैनू साद कियो। कह्यो-'वेगो थारो कटोरो ल्यै ।' उतावळसू ऊठण लागो, त्युं उतावळा साद किया 110 ताहरां प्रोळियो ऊठियो । नींदाळ थक हीज खिड़की खोली।1 कह्यो-'कटोरो दो उरहो।12 ताहरां प्रोहित कह्यो-'बाळ रे भाई ! थारो कटोरो। म्हारै मांसरै हाथ लगावै कुण ?13 ताहरा प्रोळियो बोलियो-'राज ! निवाजिया म्हानू ।' जिसड़े हाथ आघो काढियो, तिसडै नरै बरछी वाही सु पूठ माहै जाती नीसरी । धरती ढह पड़ियो । __नरो प्रोळि खोलि माहै जाय पैठो।" कह्यो-'नरै सूजावतरी प्रांण । सहर माहै आंण फिरै छै नरै सूजावतरो प्राण । इतरै
__ I हमारे पास कोई अच्छा घोडा था नही, इसलिए माग लाये है। 2 क्योकि आगे सोढोके पास बडे बडे घोडे है। 3 इसलिए वावाजी (ताऊजी)से माग कर लिया है। 4 हमारे शत्रु ता और लडाई है। 5 इतना। 6 मौर बाँधे हुए, केशरिया किये हुए है और खभाइच राग गाई जा रही है । 7 हम माग कर लाये है। 8 इतनेमे नरा पोकरण जा पहुचा। 9 पुरोहितने आगे जा करके पौलियेको पुकारा। 10 वह उतावलीसे उठने लगा त्यो उसने उतावलीसे पुकारा। H निद्रालु होते हुए ही खिडकी खोली। 12 लाओ कटोरा दे दो। 13 यह ले रे भाई | तेरा कटोरा, मेरे कौन मासके हाथ लगाये ? 14 महाराज | मेरे पर बड़ी कृपा की। 15 ज्योही हाथ बाहर निकाला त्योही नरेने वर्चीका प्रहार किया सो पीठमे जा निकली। 16 धरती पर गिर पड़ा। 17 नरा पोलि ' खोल कर अदर जा घुसा। 18 नरे सूजावतकी प्रान-दुहाई (विजय-घोषणा)। 19 - शहर में विजयकी घोषणा (आन दुहाई ) हो रही है।