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॥ श्रीगणेशायनम ॥
अथ वात सोहै सींधलरी सीहो सीघळ कमळां-पावा रहै ।' सीहैरै घोड़ा सरब मर गया। एक दिन सीहो बैठो छ । राजपूत सरब बैठा छ। ताहरां सीहो बोलियो-' ठाकुर | घोडा तो नही। ताहरां सीहै पूछियो-'केही घोड़ा छै ही ?' ताहरा राजपूता कह्यो-'राज ! गाम धूळहरै घोड़ा छ ? पिण गोयद कूपावत अोथकै रहै छै । कहियो-'गोयंद मारो तो घोड़ा हाथ आवै ?' ताहरां सीहो कहै-'घोडा तो प्रांणणा। ताहरां सीहो चढियो । चढनै गांम घूळ हरै आयो । प्रायने गोयंद कूपावतनू मारियो । २०० घोडा आणिया ।" _____ ताहरां बीजै दिन सीहो चढिनै माडहै सोझतरै गांम गयो। उठे महेस कूपावत रहतो हुतो। ताहरां सीहो प्रोथकै गयो ।' हथियार छोडिनै कहियो-'म्हानू खीच जीमावो।' मोसौ तो प्रो काम वण आयो । ताहरा महेस खीच जीमायो नही ।'
ताहरां आ वात माडण सुणी। ताहरा माडण कहियो-'महेस मूडो काम कियो । जे सीहो आयो हुतो तो खीच जीमावणो हुतो।10 महेस बुरो कियो।
हिवै माडण ही दीवाणरो चाकर अर सीहो ई दीवाणरो चाकर ।11
ताहरा भांमैसाह दीवांणनू गोठ कीधी । सु पुडियो एक १ मोतियासू भर भरनै पातळा माहै मेलियो । सु मेवाड़ा अमराव ___ I सीहा सीधल कमला-पावा गावमे रहता है। 2 किसीके घोडे है भी ? 3 परतु गोविंद कूपावत वहाँ रहता है। 4 घोडे तो लाना ही। 5 दोय सौ घोडोको ले पाया। 6 तब सीहा वहाँ गया। 7 शस्त्रोको छोड करके बोला-मुझे खीच जमाइये (दड दीजिये)। 8 मेरेसे तो यह काम बन गया है। 9 तब महेशने उसको खीच खिलाया नही (कोई दड नही दिया)। 10 महेशने बुरा काम किया । जो सीहा पा गया था तो उसे जरूर खीच खिला देना चाहिये था। II मांडण भी दीवारण (राणाजी)का चाकर और सीहा भी दीवारणका चाकर | 12 भामाशाहने दीवारणको गोठ दी। 13 एक एक पत्तलमे एक एक पुडा मोतियोका भर-भर करके रखा।