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1 माह पादिया।
मुंहता नैणसीरो ख्यात
[ १३७ __यो रहतां हेक दिन रिणमलजी एकल असवार भीलरै घरै जाय नीसरिया ! भील घरै हुतो नही। भीलरी मा बैठी हुती। तैन बैहन कह जाय बैठा । भीलणी कह्यो-वीरा! थे बुरी कीवी, पण थे घरै प्राया । अबै कासू हुवै ? ताहरां कह्यो-'वीरो ! थे घर माहै पोढो । ताहरा घर माहै पोढिया । ___ यू करतां पाचे ही भाई भील आया। आयनै मा नागै जीमणनू आया ।' ताहरां भीलांनू मा पूछियो-'जु, बेटा ! हमार रिणमल राठोड़ आवै तो कासू करो ?' तद कह्यो-'कासू करा? मारां ।' ताहरा वडो बेटो बोलियो। कह्यो-'मा ! जे घरे आवै रिणमल, तो न मारां ।'10 ताहरा कह्यो-'सावांस बेटा ! वैरीनू ही घरा आया न मारिजै ।11
इतरै तो रिणमलजीनू साद कियो-'जु वीरा ! प्राव !'' ताहरा रिणमलजी बाहिर आया। भीलातूं मिळिया। भीलां वडी मनुहार करी । वडी जाबता करी । भीला पूछियो-'जु थे मरणनू अठ किसै वास्तै आया ?14 तद कह्यो-'भाणेज ! म्हन तो खण छै, जु धान चाचै मारियै खाऊं, पण थां आगै मार सकू नही।15 ताहरा भीलां कह्यो-'जु थाने म्है हमै क्यु ही कहां नही।16।
ताहरां रिणमलजी पाछा आया । आपरो कटक ले अर पहियडरै भाखरा नीचे आया।' ताहरां भीलां कह्यो-'पहियडरे भाखरां वीच
1 ऐसी स्थितिमे एक दिन रिणमलजी अकेले सवार होकर उस भीलके घर जा पहचे। 2 भील घर पर नही था। 3 उसको 'बहिन' सवोधन करके उसके पास जा बैठे। 4-5 भीलनीने कहा कि भाई । तुमने बुरा किया, पर अब तुम हमारे घर पर आ गये हो, अव क्या हो ? (अव तुमारा कुछ नही विगड सकता।) 6 भाई । अब तुम घरमे जाकर सो जाओ। 7 पाकरके अपनी मा के पास खाना खानेको गये। 8 वेटा । अभी रिणमल राठौड यदि यहा आ जाय तो क्या करो ? 9 तब कहा-'करें क्या ? मार देंगे।' 10 मा । यदि रिणमल अपने घर पर आ जाय तो नही मारेंगे । II शत्रु भी हो, पर यदि वह घर पर आ जाय तो नही मारा जाना चाहिये। 12 इतनेमे तो भीलनीने पुकारा-'वीरा ! प्राजाओ'। 13 बडी रखवाली की। 14 आप मरनेके लिये यहा किसलिये आ गये ? 15 तव कहा-भानजो । मैने यह वाधा ले रखी है (प्रतिज्ञा की है। कि चाचाको मार करके ही अन्न खाऊगा, परन्तु तुमारे होते हुए मार सकता नही। 16 अव हम आपको कुछ नही कहेंगे। 17 अपना कटक लेकर पहियड पहाडके नीचे पाये ।