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मुहता नैणसीरी ख्यात ____ ताहरां अठै अासकरणजीरी वहू सती हुवण लागी। ताहरा कह्यो-'जु जेरै वदळे म्हारो धणी काम आयो, सु देखा तो खरी ?' ताहरा आसकरणजीरी बहू सुपियारदेनू दीठी । तद आसकरणजीरी वहू कह्यो-'जु रजपूताने मरणो देणो छै, पण जेठजी विसावण सखरी कीवी । पछै आसकरणजीरी वहू तो आसकरणजी वांस सती हुवा। __ अर सीधळ पाछा वळता एकै गामरै ताळाव आयनै उतरिया ।" ताहरां एक पिणिहारी तळाव आई, अर कह्यो-'वीरा ! बैर किण सिरदाररी गई ? ताहरा नरसिघ सीधळ घोड़ो पगा माहै घातनै वड़ री साख पकड अर हीडियो, अर कह्यो-'जु बैर म्हारी गई ।' जो बळ सौ जाहि तो न जावण देऊ, पण बैरारो सभाव छै, रोकी किणही री नही रहै।
ताहरां एक वीजी कह्यो-'ना, वीरा ! बैर न जावै, पण ते माथै वाढ चाढी छ, अर घणी अवट कोवी छ । तैसू थाहरो बैर गई, नहीतर काहिणनू जावंत ?' पछै सीधळ घरै आया । नरबदजी कायलाणे राज कियो ।10
इति वात नरवदजी सुपियारदे लाया ते समै रो सपूर्णम्
I जिस (स्त्री)के लिये मेरा पति काम आया है, उसे देख तो लू ? 2 देखा। 3 राजपूतोके लिये लटकर मरना तो एक ऋण (उतारने के) ममान है, परतु जेठजी (नरवदजीने) गन्ता भी अच्छी की है। 4 सीधल लौटते हुए एक गावके तालाब पर पाकर ठहरे। 5 बीग (भाई) 1 किस मरदारकी स्त्री घरमे भाग गई है ? 6-7 तब नरसिंह सीधलने, जिस घोडे पर मवार था उसको अपने दोनो पावोमे डालकर और बडकी शाखाको पकड कर घोडे नहित मूला (पेंग लिया) और कहा कि मेरी स्त्री भाग गई है। 8 यदि वल करके जाना चाहे तो नहीं जाने दू, पर स्त्री जातिका स्वभाव ही ऐसा होता है, जो किसी की रोकी रुकी नही रहती। 9 तव एक दूमरी स्त्रीने कहा-नही वीरा ! स्त्री कभी घरसे नहीं जाती, पर तूने उनका घातक अपमान और दुर्दशा की है, जिससे तेरी स्त्री गई है, नही तो किसलिये जाती ' 10 नरवदनीने कायलानामे राज्य किया। (कायलाना मेवाडका एक ठिकाना है)