________________
मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १५६ अजीतरी सासू, तिणनू खवर हुई', 'अजीतनू राव मारसी ।" ताहरां राणी जोतरा खवास परधांन, त्यांन कहाडियो – ' रावजी थांसू चूक कियो छै, ये रह्या तो दुख पावस्यो ।
-
6
तिण ऊपरा अमरावा परधांनां विचार कियो-'अजीत तो भाजण री परत * वहै छै, आ वान कहस्यो तो जांणसी नही ।' इण सौको तोत करने चाढां ।" ताहरा ईया सारां ही भेळा होयने कह्यो - 'छापर थी आदमी ग्रायो छे । जाटवांरो कटक राणा वछराज सागावत ऊपर आयो छै नै रांणो घेरा मांहै छै । कहाड़ियो छै, म्हा मुवां ऊपर ग्राय सको तो वेगा आवज्यो ।" ग्रा वात कही तिण ऊपरा चढणरी तयारी कीधी । नगारो हुवो, नै चढि खड़िया । ताहरा राव जोधै कह्यो'रे ! नगारो कठै ह्वै छै ?" ताहरा कह्यो - 'ग्रजीत चढि खडियो । '20
8
ताहरां राव जोधँजी दीठो- 'चूकरो जणाव हुबो; नै प्रो जीवतो गयो तो म्हांनू दुख देसी, तिण ऊपर रावजी वासै चढि खडिया । 11 ग्रागै अजीत जाय छै, वासै राव जोधोजी जाय छै । 12 सु द्रोणपुरसो कोसां ३ छापरसौ कोस ५ श्राया, तठे फोजा दोऊवा देठाळा हुवा
3
* एक प्रतिम' परग' पाठ है । 'परग वहै' का तात्पर्य होगा- 'रिश्ते के लिहाज से' वा 'रिश्ते का लिहाज करता है ।' 'परत न वहँ छै, पाठ होना चाहिये ।
1- 2 राव जोधाजीकी राणी भटियारगी जो प्रजीतकी सास थी उसे इस बातका पता लग गया कि अजीतको राव मारेंगे । 3 तब राणीने अजीतके जो खवास और प्रधान थे जिनको कहलवाया । 4 रावजीने तुमारे साथमे घोखा विचारा है सो ग्रव यदि तुम यहा रहे तो दुख पाओगे । 5 इस पर उमरावो और प्रधानोने विचार किया कि ग्रजीत तो भागने की बात के विरुद्ध रहता है यह बात उसे कहेंगे तो इमे सत्य जानेगा ही नही । 6 इससे कोई अन्य वखेडेकी बात करके यहासे ले चले । 7 तब इन सवने इकट्ठे होकर कहा कि बछराज सागावत पर जाटवोका कटक ग्राया है और राणा घेरेमे फस गया है सो उसने कहलवाया है कि मैं मारे जानेकी स्थिति मे हू, यदि सहायता कर सको तो तुरत प्राग्रो । 8 यह बात कही तव चढनेकी तैयारी की। नगारा वजवाया और चढकर रवाना हुए । 9 अरे | नगारा कहा वज रहा है ? 10 अजीत रवाना हुआ है । II तब जोधाजीने देखा कि धोखे की जानकारी हो गई और यदि अव यह जीता निकल गया तो हमको दुख देगा। इस पर रावजीने उसके पीछे चढाई कर दी । 12 ग्रागे अजीत जा रहा है और उसके पीछे राव जोधाजी जा रहे हैं । 13 सो द्रोणपुर से तीन कोस और छापरमे पाच कोस उरे पहुचे तव दोनो फौजोको एक दूसरेकी फौज दिखाई दी ।