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मुहता नैणसीरी ख्यात डूंगरियां नव काळे-डूगर वसियो छै । सु काळे-डूगर लागती डूगरो ८ तथा ६ छ । डूगरिया ६ नव काळ-डूगर लागती द्रोणपुर वसायो। १ काळो-डूगर
५ देवीजीरी डूगरी २ विनायकरो डूगरो
६ कोढणोरी डूगरी 3 सालेररी डूगरी
७ चरलारी डूगरो ४ भैसे-सिरारी डूगरी
८ चिमररी डूगरी छापररै परगनै गाव १४०० लागै । छापररै परगनै माहै इतरी ठोड-'छापर, लाडणू, करणावटी ।' करणावटी रिणीरी पैली तरफ छ । किरतावटी -किरता आहेडोतरी ठोड ।'
द्रोणपुर, भारद्वाजरो बेटो द्रोणाचारजनू थो, पाडवां कैरवारी वार माहै । पछै पमार डाहळियानू हुतो द्रोणपुर । डाळिया सिसपाळरांनू छापर-द्रोणपुर घणा दिन रह्यो । डाहळियारो छापर वडी साहिबी श्री। नै वागडी रजपूतारी भोम नागोर थी। सु नागोररी धरती माहै वागडियारो वडो मेवासो । वागडी वडा रजपूत ने वडा राहवेधी था । सु डाहळियां नै वागड़ियां माहो माहि खिसण थी। सु वागडिया डाळियांसू चूक विचारियो।1 वागडी कटक करनै डाहळिया ऊपर आया ।16 डाहळिया चलाय साम्हा
I काले डूगरीकी नौ काली डगरियो (पहाडियो) मे द्रोणपुर बसाया गया है। 2 उस काले ड्रगरसे लगती हुई ड्रगरी (छोटी पहाडिये) ८ तथा ६ हैं। 3 काले डुगरसे लगती हुई उन नौ डू गरियोके पास द्रोणपुर बसाया गया। 4 गणेशजीकी पहाडी। 5-67 छापरके परगनेमे इतने स्थान प्रसिद्ध है- छापर, लाडनू , करणावटी और किरतावटी । करणावटी रिणी गाँवके उस ओर पाई हुई है और किरतावटी, आहेडके पुत्र किरताकी जागीरीकी ठोडको कहा जाता है। 8 पाडवो-कोरवो के समयमे द्रोणपुर भारद्वाज ऋषिके पुत्र महपि द्रोणाचार्य के अधिकारमे था। 9 फिर द्रोणपुर परमार डाहलियेके अधिकारमे हो गया था। 10 शिशुपालके वशज डाहलियेके अधिकारमे छापर और द्रोणपुर बहुत दिन तक रहे । । और नागोर वागडी राजपूतोकी भूमि थी। 12 नागोरकी धरतीमे वागडियोका बडा मेवासा । (मेवासो = घाडा डालने वालो व लूट-पाट करने वालोके लिये रहनेका सुरक्षित स्थान ।) 13 वागडी राजपूतोका वडा ममूह और सभी राहवेधी । (राहवेधी = १ दूरदी । २ युद्धागरणी । ३ युद्ध विशेषज्ञ ।) 14 डाहलियो और वागडियोमे परस्पर शत्रुता चल रही थी। 15 वागडियोने टाहलियोको मारनेका विचार किया। 16 यागही सेना लेघरके डाहलियोके ऊपर चढ़ पाये ।