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मुहता नैणसीरी ख्यात कहियो-'बध छुड़ायने जमीस ।' ताहरा वीरमदे कहण लागो-'ये ।। तो आपणा दुसमण हुता, अर थे कहो तो भला 12 ताहरा सातमै दिन दूध आरोगायो, अर ऊठिया । जठे वीरमदे कहण लागो-'ज, ह उठ पठाणरै जाय अर वध वेई अरज करू ।' ताहरां कल्याणमल सवणां माहै' समझतो हुतो; ताहरा कह्यो-'राज | बंध वेई अरज मता करो।' परभातै राव मालदेरी फोज दोड़सी, बध सारा छूटसी। मरणो छ जिको मरस्यै ।' अर पठाण भाजसी 20 ताहरा वीरमदेजी कहियो-'तो राज आरोगो काई नही ?11 ताहरा कल्याणदास कह्योवीरमदेजी ! हू काम आईस ।12
यू करता दिन ऊगो । राव मालदेजीरी फोज थाणे ऊपर दोडी। ताहरां पठाण तो भागा । कल्याण सांम्हां प्रायो। ताहरा राव मोलदेजी कह्यो-'कल्याणमलजी ! थे काई मरो ? म्हे तो थारै हीज वासतै
आया छा । ताहरा कह्यो-'ना साहिब ! पातसाहरा थाणा भाजै, ताहरां कईक रूडा माणस मरै ।14 ताहरां उठ कल्याणमल काम प्रायो। उदैकरण रायमलोत काम आयो । पठांण भागा सु दिल्ली गया। __ राव मालदेजी बंध लेने घूघरोटरा पाहाडा गया। वीरमदेजी मेडतै आय रह्या । पछै राव मालदेजी जोधपुर पाया। कईक तुरक छा सु नास गण 115
॥ इति सम्पूर्णम् ॥
1 ववन ढुडा करके भोजन करू गा। 2 ये तो अपने दुश्मन थे, और तुम इन्हींके लिए गपथ लेते हो, यह अच्छी रही । 3 तब सातवें दिन दूध पिलाया और उठे। - 4 जहाँ! 5 वहाँ। 6 लिये, वास्ते। 7 शकुनोमे। 8 वधनोके लिये अर्ज मत करो। 9 जित्तको मरना है वह मर जायगा। 10 और पठान भाग जायेंगे। II तो फिर श्राप भोजन क्यो नहीं करते ? 12 में काम पाऊगा। 13 कल्याणमलजी आप क्यो मर रहे हो ? हम लोग तो अापके लिए ही आये है। 14 बादशाहके थानोको जहां तोडना होता है, वहीं कई अच्छे आदमी काम आते है। 15 कई तुर्क वहा थे सो भाग गये।