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________________ १०२ ] मुहता नैणसीरी ख्यात कहियो-'बध छुड़ायने जमीस ।' ताहरा वीरमदे कहण लागो-'ये ।। तो आपणा दुसमण हुता, अर थे कहो तो भला 12 ताहरा सातमै दिन दूध आरोगायो, अर ऊठिया । जठे वीरमदे कहण लागो-'ज, ह उठ पठाणरै जाय अर वध वेई अरज करू ।' ताहरां कल्याणमल सवणां माहै' समझतो हुतो; ताहरा कह्यो-'राज | बंध वेई अरज मता करो।' परभातै राव मालदेरी फोज दोड़सी, बध सारा छूटसी। मरणो छ जिको मरस्यै ।' अर पठाण भाजसी 20 ताहरा वीरमदेजी कहियो-'तो राज आरोगो काई नही ?11 ताहरा कल्याणदास कह्योवीरमदेजी ! हू काम आईस ।12 यू करता दिन ऊगो । राव मालदेजीरी फोज थाणे ऊपर दोडी। ताहरां पठाण तो भागा । कल्याण सांम्हां प्रायो। ताहरा राव मोलदेजी कह्यो-'कल्याणमलजी ! थे काई मरो ? म्हे तो थारै हीज वासतै आया छा । ताहरा कह्यो-'ना साहिब ! पातसाहरा थाणा भाजै, ताहरां कईक रूडा माणस मरै ।14 ताहरां उठ कल्याणमल काम प्रायो। उदैकरण रायमलोत काम आयो । पठांण भागा सु दिल्ली गया। __ राव मालदेजी बंध लेने घूघरोटरा पाहाडा गया। वीरमदेजी मेडतै आय रह्या । पछै राव मालदेजी जोधपुर पाया। कईक तुरक छा सु नास गण 115 ॥ इति सम्पूर्णम् ॥ 1 ववन ढुडा करके भोजन करू गा। 2 ये तो अपने दुश्मन थे, और तुम इन्हींके लिए गपथ लेते हो, यह अच्छी रही । 3 तब सातवें दिन दूध पिलाया और उठे। - 4 जहाँ! 5 वहाँ। 6 लिये, वास्ते। 7 शकुनोमे। 8 वधनोके लिये अर्ज मत करो। 9 जित्तको मरना है वह मर जायगा। 10 और पठान भाग जायेंगे। II तो फिर श्राप भोजन क्यो नहीं करते ? 12 में काम पाऊगा। 13 कल्याणमलजी आप क्यो मर रहे हो ? हम लोग तो अापके लिए ही आये है। 14 बादशाहके थानोको जहां तोडना होता है, वहीं कई अच्छे आदमी काम आते है। 15 कई तुर्क वहा थे सो भाग गये।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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