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अथ वात राठोड़ नरै सूजावत, खीमै पोकरणैरी
राठोड़ खींवो पोकरण राज करें। पोकरण बाळनाथ जोगीरो आसण छ ।' अर अठै बैहाटी हरभौ मेहराजोत सांखलो राज करै । 2 कलिकरण केहोत जैसळमेररो भाटी हरभौ सांखलैरै परणियो हुतो । *
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बाई अठै पीहर हीज रहती सांखलेरै ।' सो बाईरे पेट ग्रासा हुती ।" कितरेक दिने बेटी जाई ।' वडे नखत्रै जाई । ताहरा जंगळमें नांखि आया । '
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हरभी सांखलो फळोधी गयो हुतो । प्रावतां थळ माथै रोवतो टाबर दीठो | 10 ताहरा हरभौजी पूछियो - 'रे, टावर कठै रोवै छै ? 11 ताहरां कहियौ - 'राज ! एक टाबर कहिके नांखियो छ, सो रोव छै ।' ताहरां आप कहियो - ' टाबर उठाइ लावो ।' ताहरां एक सवण बोलियो | 13 आप सर्वणी हुता यु कर आप डावडीनू " घरे ले आया, आणने मांहै मूक दी । 26 कहियो - 'इयै छोकरीनू धाय राखो । न भली जिनस राखज्यो ।
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ज्यां मांह डावड़ी ले गया त्यां तो कपडो ओळखियो; " कह्यो'जी ! श्रा डावड़ी क्युं लाया ? भूडा नखत्रे जाई हुती "सु म्हा तो नांख दोनी । 20 ताहरां हरभूजी कहियो- 'प्रा भले नखत्रे जाई छै ।
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I पोकरणमे वालनाथ योगीका श्रासन है । 2 और यहा वैहगटी गावमे मेहराजका वेटा हरभू साखला राज्य करता है । 3 केहरका वेटा कलिकर्ण । 4 व्याहा था । 5 बाई (हरभूजीकी वेटी) उस समय साखलेके यहाँ पीहरमे ही रहती थी 6 बाईको गर्भ था । 7 कितनेक दिनोके बाद पुत्री उत्पन्न हुई । 8 बडे नक्षत्र ( मूल नक्षत्र) मे उत्पन्न हुई । 9 तब उसे जगलमे डाल दी । 10 लोटते हुए मार्ग मे एक बच्चेको एक टीवे पर रोते हुए देखा । II बच्चा कहां रो रहा है ? डाल दिया है । 13 उस समय एक शकुन हुआ । 14 स्वय शकुनी थे । IS बच्चीको । 16 ला करके अदर भेज दी । 17 इस छोकरीके लिए एक धाय रखो और अच्छी तरह रखना ! 18 जैसे ही बच्चीको अदर ले गये वैसे ही उसके कपडेको पहचान लिया । 19 इस लडकी को क्यो लाये ? यह तो बुरे नक्षत्रों में उत्पन्न हुई थी ।
12 एक बच्चा किसीने लाकर
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महने तो डाल दी ।