SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 112
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०४ ] महता नैणमीरी ख्यात अर कडूवेनू अोठभो होसो।' सासरै पीहर वडा दोन कुळ ठांमसी।'' ताहरां बाईन राखो । बाईरो नाम लिखमी दियो। तिके हीज रात १ बेटो हरभूजीरै जाई । दोनं ही वायां मोटी हुई। मासी-भांणजी ज्यु मोटी हुई, त्युं सगाईरो अटकळ करीजण लागी । ताहरां तेड बांभणनू नारळ दियो ।' हरभूजी कहियो-'बाई लिखमीरो नाळेर पोकरणरा राव खीवैनें ले जाइन द्यो। ताहरां वाभण नाळेर ले जायने राव खीवैनू वंदायो ।' ताहरां खीवै कहियो'कैरो नाळेर?' ताहरा बांभण कह्यो-'जी ! कलिकर्ण भाटीरी बेटी, हरभू साखलेरी दोहितरी ।" ताहरां खीवै कहियो-'जी, आ सगाई म्हे नही करा । सुणां छां, वीदणीरा दांत मोटा छै।11 ताहरां नाळेर अपूठो दियो। अर राव खीवै कहियो-'जो हरभूजोरी बेटो परणावो तो परणीज्या ।13 इतरी वात कही, ताहरां आदमी अपूठा पाया। प्रायनै हकीकत हरभूजीनू कही । ताहरा हरभूजी कहै-'बेटी जाई जिणरो जनम हारियो । कासू कीजै ?16 ___ ताहरा हरभूजी आपरो” बेटीरो नारळ खीवैनं मेलियो ।18 खीवै नारेळ वाद लियो । भलै मुहूरत जान कर आयनै परणियो। हमै लिखमी कुंवारी रह गई । ठोड़ २-३ नारेळ मेलिया, सु नारळ अपूठा आया। ताहरा राव सातळ जोधपुर राज करै। I कुटुम्बको सहारा-रूप होगी। 2 ससुराल और पीहर दोनो कुलोका मान बढाने वाली होगी। 3 उसी रात ! 4 मौसी और भानजी जैसे ही वयस्क हुई उनकी सगाई की अटकलें लगाई जाने लगीं। 5 तव ब्राह्मणको बुला करके नारियल दिया। 6 लक्ष्मीबाईकी सगाईके लिए पोकरणके राव सीवेको यह नारियल ले जाकर दे दो। 7 तव ब्राह्मणने नारियल ले जाकर राव खींवसे उसे वदन करवाया। 8 नारियल किससे सवंच किये जानेका है ? 9 कलिकर्ण भाटीकी पुत्री और हरभू साखलेकी दोहितीका। 10 यह सगाई हम नहीं करते । II सुनते है कि वधू (मगेतर)के दात वडे हैं। 12 तव नारियल लौटा दिया। 13 हरभूजीकी वेटी व्याहें तो व्याह कर लेंगे। 14 इतनी। 15 जिसके पुत्री उत्पन्न हुई उसने जन्मको हारा। 16 क्या किया जाय ? 17 अपनी। 18 भेजा। 19 अच्छे मुहूर्तमे वरात बना कर और पाकर विवाह किया। 20 श्रव।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy