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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ४५ . . ताहरां खेतसीह कह्यो-'भांनाजी ! थे आगे खड़ौ, भूमिया छौ।''
पछै बेहू भेळा हुयनै खड़िया ।" तितरै दीह प्राथम्यौ। ताहरां कह्यो__“जी, इयै धरतीमें जाळा हुवै छै, कोई आगू लीजै तो भलौ । ताहरा
उवै धरती मांहै आगू सरगरा हुवै छै । ताहरा सरगरैनू कहियो। ताहरा सरगरै कहियो-'च्यार फदिया लेइस ।" ताहरा कहियो–'त्रै च्यार फदिया, एक दुपटो।' तितरै एक ऊठि आयो, इंयांरो पटेल । पटेल कहियो-'अठै जानरो ऊठ भागो छ,' सु वसत गाडै घालने प्रांणता हता। ताहरा ईयां पूछियो'-'जान करी ?'10 ताहरा
कहियो-'जांन बालीसांरी छै ।11 कहियो-'भैही जाय मुह आगे • हाथी असवार हुवा ।12
पर्छ अ ठाकुर आय भेळा हुवा।13 खड़िया पांच सै असवारांरी गाठ चाली जावै छै । अर अ उतर हाथी सौ अर जीणपोस नाखनै प्याला ३ दारूरा पिया। ___इतरै सांमेळो सांमो आयो 115 जानी, मांढी भेळा हुवा । पछ खडिया पाच सौ असवारारी गांठ चाली जावै छै । ताहरा भानै कह्यो'खेतसीह ! खाथो मतां हुवै ।17 कहियो– 'नां, जी, खाथो कोई हुवू नही । ___अठै तोरण हेठे आय ऊभा रहा छै पागड़ा छाडि नै ।18 कई
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I तुम जानकार हो आगे चलायो। 2 तब दोनो सामिल होकर चले। 3 इस वरतीमे जालोके वृक्ष बहुत होते हैं। 4 उस। 5 चार फदिये लूगा (फदिया एक छोटा सिक्का) 6 इतनेमे एक ऊंट-सवार आया। 7 यहा वारातका ऊट टूट गया है। 8 सो उस परकी चीज-वस्तु गाडे मे डाल करके ला रहे थे। 9 तव इन्होने पूछा। 10 वरात किसकी है ? JI वारात वालीसा राजपूतोकी है। 12 ये मुहके आगे (थोड़ीही दूरी पर) ही हाथी पर सवार होकर जा रहे है। 13 पीछे ये ठाकुर आ कर सामिल हो गये। 14 पाचसौ सवारोका समूह अपने वाहनोको चलाते हुए चला जा रहा है। 15 इतनेमे सामेला सामने आया। (सामेळो=कन्या पक्षकी पोरसे किया जाने वाला वरातका एक स्वागत-आयोजन) 16 वराती और कन्या पक्ष वाले इकट्ठे हुए। 17 उतावला मत हो। 18 वाहनोसे उतर करके यहां तोरनके नीचे श्रा कर सडे हुए है।