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मुहता नैणसीरी ख्यात तत्पट्टे चंदगिर वर्ष १० राज्यं कृतं । तेहनै पाट राजा कर्ण वर्ष ३० राज्यं कृत ।
[पृष्ठ ४६ की टिप्पणी चालू ] परतु 'वात अरगहलवाडा-पाटगरी' (प्रथम भाग, पृ २५६) मे इन आठो गासकोके शासककालका योग १६८ वर्ष ६ मास ही होता है। वहा जो इन शासकोकी सूचीके नीचे जो कवित्त दिये गये है उनके हिसावसे भी इन आठोका शासन-काल १६८ वर्ष होता है, परतु प्रथम कवित्तकी प्रतिम झड
चावडा राज अपहलनयर, कीव वरस सौ छीनवह ॥ और दूसरे कवित्तको प्रथम और दूमरी झडमे भी
पाठ छत्र चावडा, कीव पाटण घर रज्जह ।
वरस एकसौ छिनु, गया भोगवी सकज्जह ।। के अनुसार १६६ वर्ष ही होते है। इसी प्रकार चावडोके वाद सोलकियो और वाघेलोके शासको और उनके शासन-कालमे भी इन दोनो स्थानोमे परस्पर बहुत अधिक अतर है। वातमे सोलकियोके शासक १० है जिनका शासन-काल २६६ वर्ष है और यहा ६ शासकोके शासनके २५१ वर्ष ३ मास और २८ दिन है।
__ वाघेलोंके वातमे पाच शासक है और १०६ वर्ष उनके शासन-कालके बताये गये है। देवराजके समय माधव ब्राह्मण अलाउद्दीनको ले आता है। इवर दो पीढियोके ७० वर्ष ७ मास और ४ दिनके बाद तीसरे शासक करण गेहलेके समयमे माधव अलाउद्दीनको ले आता है।
ख्यातो, विगतो तथा हकीकतो एव वगावलियोंमे शासकोके राज्य-काल और नगरो और गढ़ों आदिके निर्माण-कालका अनेक विध विवरण गद्य-पद्योमे मिलता है, परतु उनमे समानता वहुत कम पाई जाती है। हमारे सग्रहकी अनेक विगतकी प्रतियोमे से, एक प्रतिकी, जिसमें मास, दिनका विशेप विवरण होने के कारण, उक्त दोनो विगतोकी तुलनाके लिये केवल अरणहलपुर पाटणकी विगत यहा दे रहे है, जिससे सही बात जाननेका आधार मिल सके।
'सवत् ८०२ वर्षे वैशाख सुदि ३ रवौ रोहिणी, तत्काल मृगशिर नक्षत्रे वृषस्थे चद्रे, साध्य योगे, गर करणे सिंह लग्ने, मध्यान्ह ममये अरणहिल्लपुरस्य शिलानिवेशस्तस्यायुर्वद्ध वर्ष ५२०० मास ७ दिन ६ घटी ४४ । तत्रपूर्व वरणराज स्थिति, वर्ष १८६ मास ६ दिन १६ चाउदा छा व्यक्तित । तत्रपूवं स्थिति
१. वृद्ध वणराज राज्य वर्ष ६५ मास २ दिन १ २. जोगराज राज्य वर्प १० मास १ दिन १ ३ राणादित्य राज्य वर्ष ३ मास ३ दिन ४ ४ वयरसीह राज्य वर्ष ११ मास x दिन २ ५. क्षीमराज राज्य वर्ष ३८ मास ३ दिन १७ ६ चामुडराय राज्य वर्ष ३४ मास ४ दिन १७ I जिसके, उमके।