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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ७७ ताहरां कही-'राज ! काछेली विरवडीरो धण खीची जींदराव लियो। अर वूडोजी चढे नही।' ____ताहरां पाबूजी कह्यो-'घोडां जीण करावो। ताहरां पाबूजी असवार हुवा । थोरी सर्व असवार हुवा । सात-वीस जानी नै सात चांदैरा भाई, साराई चढिया । निकै खीचीनू पुहता। तठे लडाई हुई। खीचीरो लोक घणो मारीजियो। धण सर्व पाबूजी घेर लियो ।
लेने तो कोळू आवै । गूजवो कोहर तो, तठे चारणरो वित पावण वेई, सु कोहर चाढियो, सु पांणी नीसरै नही । ताहरां चारण विरवडी कही-'वडा राठोड घेरी छै ज्यु पाय ।" ताहरां पाबूजी कोहर तेवण श्राप लागा। ताहरा एक वारो काढियो । तेसू कोठा, कूड्यां, खेळियां सर्व भरी । विरवडी चारणरो धण सर्व पायो । ___अर वास11 विरवड़ीरी छोटी बहन वूडेजीनू जाय पुकारी । कह्यो-'वूडा ! हमै तो कितराइक काळ जीवीस । पाबूजी तो काम
आया।' इतरी इयै कही। ताहरां बूडैजीन रीस आई। ताहरां बूडैजी चढिया सो खीचीनू जाय पुहता।" ताहरा बूडैजी कह्यो-'रे खीची ! पाबून मार कठे हालियो ? 15 पग माड ! 26 ताहरां खीची सकियो। कह्यो-'राज | पाबूजी तो धण लेनै पाछा फिरिया, थे लडो मती18 ___ I घोडो पर जीन कसवा दो। 2 एक सौ चालीस वराती और सातो ही चादेके भाई, सभी चढे । 3 वे सभी खीची के पीछे पहुचे। 4 खीचीके बहुत मनुष्य मारे गये। 5 ले करके ये तो कोलूको आ रहे है। 6 मार्गमे गूजवो नामका कुआ था, वहा चारणीके गो-समूहको पानी पिलानेके लिये चरसको चढ़ाया, किन्तु पानी निकलता नही। 7 बडे राठोड | जिस प्रकार अपने हाथोसे इन्हे घेर कर लाये हो, उसी प्रकार अपने हाथसे ही इन्हे पानी पिलायो। 8 तब पाबूजी स्वय चरस खीच कर निकालने लगे और उन्होने एक वारा निकाला। [कोहर=पशुयो आदिके पीनेके लिये चरस द्वारा पानी निकाला जाने वाला कुआँ ! वारो चरस (प्रायः बिना सड वाला)का कुएमेसे पानी भर करके एक वार निकाला जाना एक 'वारा' कहलाता है।] 9 उस एक वारासे पानीके कोठे, कूडिये और खेलिया आदि सब भर गये। 10 विरवडी चारणीके सभी गो-समूहको पिला दिया। II पीछे से। 12 बूडा | अव तू कितने काल तक जीयेगा। 13 इतनी बात इसने कही। 14 जा पहुचे। 15 पावूको मार करके कहा चल दिया ? 16 पांव रोप (ठहरजा)। 17 डर गया। 18 पावूजी तो गो-समूह लेकर लौट गये है, तुम लड़ाई मत करो।