________________
मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ह
सोयां मरती बैठी रहां ।' ताहरां कह्यो - ' वहू आज हरदास बाहुड़े ताहरां मोनूं खबर दिया । "
2
4
5
ताहरां जियै वहूरो वारो हुतो, सु मारग रोकि ऊभी । ' ज्यू हरदास पाछली रातरो वाहुडियो, ताहरां कह्यो - 'सासूजी ! हरदास बाहुडै छै ।" सासू पण ऊभी हती । सु ऊपरासू हरदास उतरियो । सु राय प्रांगण मांहै मारग । ताहरा राय- श्रागणमे हरदास प्रायो, ताहरा सेखैरी मा भीतर तेड़ायो ।' ताहरां जायने सलाम कीवी । ताहरां कहियो - ' बेटा हरदास ! देख, सेखरी मारो टापरो उपाडतो हवै नी ? " ताहरां कहियो- 'माजी ! पेहली हरदासरी मारो टापरो उपड़सी, ता पर्छ सेखरी मारो टापरो उपडसी । टापरो उपडियां विना, माजी ! जोधपुर श्रावै नही । काय टापरो उपड़सी, काय जोधपुर वसी 18
ताहरां राव गांगैरा परधांन सेखै कनै आया ने सेखैनू कह्यो'सेखा ! जितरी धरती मांहै करड़, इतरी धरती थांरी नै जितरी धरती माहे भुरट, उतरी म्हांरी ।" ताहरा से कह्यो - 'भला ।' ताहरां हरदास प्रायो । सेख को - ' हरदास ! धरती वाट भलो कहै छै ।" ताहरा हरदास वात माने नही ।
110
ताहरां झूटो प्रासियो दूहो कहै "
ऊहड मन प्राण नही, हेक वचन हरदास । सेख सिगळो सामठो, (का) गार्गं सिगळो ग्रास ॥
I आज हरदास जब
वे मुझे
।
खवर देना । 2 तव जिस पत्नीकी उस दिन बारी थी वह मार्ग रोक कर खडी रही 3 जैसे ही हरदास पिछली रातको लौटा, तब उसने कहा, 'सासूजी । हरदास लौट रहा है।' 4 सासू भी वही खडी थी । प्रागनमे होकर मार्ग जाता है । 6 तव सेखेकी माने अदर बुलवाया ।
8 या तो टापरे
हरदास | देखना, कही सेखेकी माका टापरा उजाड नही हो जाय ? उजड़ेंगे या जोधपुर श्रायेगा । 9 सेखा | जितनी धरतीमे करडी उगी हुई है उतनी धरती तुम्हारी और जितनी धरती मे भुरट उगी हुई है उतनी धरती हमारी ( इस प्रकार धरतीका वट करलें ।) 10 हरदास 1 धरती वाट लेनेकी बात ठीक कर रहे है । इस पर श्रासिया चारण झूटेने एक दोहा कहा है, इसका भावार्थ इस प्रकार है
II
'हरदास ऊहड एक भी बात नही मानता । वह कहता है कि या तो समस्त धरती सेखा ही लेगा या फिर गांगा ही लेगा ।'
The
1
5 राय
7 बेटा |