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मुंहता नैणसीरी ख्यात ताहरा सेखो सूजावत वीरमदेजीरे जो गोत-भाई हुतो, सु प्रायो' आयनै सीसोदणीसू मिळियो । कह्यो-'मोनू थे सांमल ल्यो, ज्यु थांहरो चेळो भारी हुवै। राव गागो न पहुचे । ताहरा सीसोदणी रायमलनू पूछियो । ताहरा रायमल कह्यो-'मता लेवो । ताहरा सीसोदणी रायमलरो कह्यो न कियो । सेखा सूजावतनू सांमल कियो। ताहरा रायमल जाणियो-'म्हारो धर्म नहीं हमै ।
ताहरां राव गागैजीन रायमल कहायो'-'अब थे प्रावो, ह लडीस ।' वाघेरै घरै तो धरती रहै, सूजारै धरती न जावै । हू काम आईस, धरती थानू देईस । ताहरां राव गांगो, मालदे बेहु कटक कर पाया । ताहरां रायमल जाय वीरमदेरै ढोलियै प्रदक्षिणा दे, पगे । लाग बाहिर आयो ।1 आपरो साथ एकठो कर सांम्हां जाय लडियो ।रायमल काम आयो। सोझत राव गागै लई।13 वीरमदेनू काढियो ।
इति राव गांग वीरमदेरी वात सपूर्ण
1 तव सेखा सूजावत जो वीरमदे का गोत्र-भाई (द्विमात-भाई) था सो आया । 2. मुझको तुम गामिल ले लो जिससे तुम्हारा पलडा भारी हो जाये। 3 फिर राव गागा तुम्हें नहीं पहुच सकेगा। 4 मत लेप्रो। 5 तव रायमलने देखा कि अव उसका यहा रहना धर्म नही। 6 कहलवाया। 7 अव तुम आ जाओ, मैं लड़ गा। 8 मैं चाहता है कि घरती वाघाके घरमे रहे, सूजाके घरमे न जाने पाये। 9 में काम पा जाऊगा और धरती तुमको दे दूगा। 10 तव राव गागा और मालदे दोनो कटक लेकर पाये । 11 तव रायमलने जाकर वीरमदेके पलगकी प्रदक्षिणा दी और चरण स्पर्श कर वाहर प्राया। 12 अपना साथ इकट्ठा करके सामने गया और लडा। 13 राव गागाने सोजत पर अविकार कर लिया। 14 वीरमदेको निकाल दिया।