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मुंहता नैणसीरी ख्यात
í ५७
स्याह महमंदनॆ ब्रहांनखां मारियो । 2 उमराव ३५ भला भला छा सु ब्रहांनखां मारिया ।"
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पछै ब्रहांननै भाटी सिरवान ब्रहांनदीननूं मारियो । 3 पातस्याह महमंदरौ वैर लियौ ।
पछै पातस्याह महमंदरो बेटो अहमद टीकै बैठौ ।
तठा पर्छे संमत १६२६ मुगल पातस्याह अकबर गुजरात लीधी हिवै मुगलारै गुजरात देस हुवौ । " पातस्याह अहमदनूं मारियो । ॥ इति गुजरातरै देशरी ख्यात सपूर्ण ||
अथ वात मकवांणा रजपूतांरी
ईयार माहुती सु कोई देव अस हुती, सु धारेचो कियो हुतो । " सु वा कहण लागी - 'जाहां हू प्रगट हुई ताहरा नही रहू । '
तद कितरैके दिने ईयेरें बेटो जायो । खेलण सरीखी हुवी, तद खेलतो थो।' आ ऊची झरोखे बैठी हती, तद नीचे बैठे बेटैनू हाथ लाबो पसारने भाल लियौ । " तद ईयै देव अस प्रगट करने अतर्ध्यान हुई । तँ दिनसू पर्छ झाला कहाया । 12
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॥ इति भालांरी वात सपूर्ण ||
I सम्वत् १६१०की फाल्गुन वदी १३ गुरुवारको एक पहर रात गये वादशाह मुहम्मदको बुरहानखाने मार दिया 1 2 अच्छे-अच्छे ३५ उमराव थे जिनको भी बुरहानखाने मार दिया । 3 फिर भाटी सिरवानने बुरहानखाको मार दिया । 4 जिसके वाद सम्वत् १६२६ मे मुगल बादशाह अकबरने गुजरातके ऊपर अधिकार किया । 5 अव मुगलोके अधिकार मे गुजरात देश हो गया । 6 इनकी (मकवाणा - राजपूतोकी) मा कोई देवाशी थी, जिसने धारेचा कर लिया था । (धारेचो = १ विधवा होने पर किसी अन्यके यहा पत्नी वन कर रहना । २ अपने पतिको छोड कर दूसरेके घरमे रहना) 7 जिस समय मैं प्रगट हो गई तब नही रहूगी । 8 तब कितने एक दिनोके बाद इसके एक पुत्र हुआ । 9 खेलने जैसा हुआ तब वह एक दिन खेल रहा था । 10 यह ऊची झरोखे में बैठी हुई थी, तब उसने नीचे बैठे हुए अपने बेटेको अपना हाथ लवा वढा करके पकड लिया । II तब अपने इस देवाशको प्रगट करनेके कारण अतर्द्धान हो गई । 12 इसके बाद ये (मकवाणे - राजपूत) 'झाला' कहाये । ( बच्चे की माँने बच्चेको हाथसे 'झाल' लिया, इसलिये वह बच्चा और उसकी सतान झाला कहाई । मारवाडी भाषामे 'झालरगो' शब्दका अर्थपकडना, थामना, सभालना इत्यादि होता है | )