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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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[ ६६ हुई सु देवडारो साथ घणो माराणो, अर रावनू हाथ पडिया, पकड लियो ।' नै पाबूजी कह्यो - ' मारो मतां । देवीजीरो जायो छै । ताहरा पाबूजीरी वैहन बैहल बैसने पाबूजी पास आई, कह्यो, 'भाई ! तू म्ड़्नैं ग्रमर कांचळी दे, रावजीनू छोड । ताहरा पाबूजी बहन कहै रावनू छोडियो । र ग्राने वाघेलैरी लुगाईरो गहणो पाबूजी वैहनने दियो नै कह्यो - 'बाई ! श्रो गहणो तनै दायजारो छै ।" ताहरां साळं बैहनेई आपसमे रस हुन । राव पाबूजीनू लेने सीरोहीरा गढ मांही आयो ।
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ताहरां बाईने साथै लेने पाबूजी वाघेलीनू बापरो सुणावणनू गया ।' ताहरा सोनां वाघेलीनू कही जु - ' बाईजी । थे लोकाचार करो ।' थारै ग्राने वाघेलै बापनू म्हारो भाई मार प्रायो छै, थोरियारे वैर माहै ।" ताहरां वाघेली गोडो वाळियो । 20
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अर पाबूजी ठे बैहनरे जीम अर चढिया ", तद चांदैनू कही'चांदा ! थार वापरो वैर लियो छै, अर बाईरो पण वैण वाळियो छै ।" हमे चालो, दोदरी साढियां ले अर भातीजीनू देवा । 13 उठे पण सगा हससी, मैहणा देसी । 24
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सु हमे असू चढिया सु दोदैरे चालिया । हरियैनै प्रागै कियो । ग्रा मारग वीच मिरजै खानरो राज, तठै मै ग्राय नीसरिया । 15
I तव लडाई हुई उसमें देवडोके श्रादमी बहुत मारे गये, रावको भी कुछ हाथ ( घाव ) लगे और पकड लिया । 2 मारो मत, देवीजीका ( समधिनका ) पुत्र है । 3 उस समय पावूजीकी बहिन बहलीमे बैठ करके पाबूजी के पास आई श्रीर कहा कि भाई । तू मुझे ग्रमरकचुकी (सौभाग्य) दे, रावजीको मारना मत, छोड दे । 4 कहने से । 5 यह गहना तुझे दहेज दे रहा हूँ । 6 फिर साला-बहनोईके ग्रापसमे प्रेम हो गया । 7 तब वहिनको साथ मे लेकर पाबूजी वाघेलीको उसके वापके मारे जानेका मृत्यु- सन्देश सुनानेको गये । 8 वाईजी ! तुम लोकाचार करो । 9 तुमारे वाप याना वाघेलेको मेरा भाई थोरियोके वैरका वदला लेने के लिए मार करके आया है । 10 तब वाघेली रोने बैठी । II और पाबूजी बहिन के यहा भोजन करके रवाना हुए । 12 चादा । तेरे बापको मारा जिसके वैरका बदला लिया और बहिनको जो वचन दिया था सो भी पूरा किया । 13 व चले सो दोदेकी साढनिया लेकर भतीजीको देदें । 14 वहां भी समधी हँसेंगे और ताने मारेंगे । 15 ये वहा श्राये ।