________________
|| श्री गुणेशाय नमः ॥ अथ गुजरात देश राज्य वर्णनम्
संमत ८५२ वर्षे श्रावण सुदि २ गुरुवार चावड़े वणराज अणहलपुर-पाटण वसायो । पाटणनी स्थापना कीधी।'
वणराज वर्ष ६० राज कियो। तत्पट्टे वणराज पुत्र योगराजेन राज्यकृत वर्ष ६ । संमत ८६१ वर्षे शलादित्य वर्ष ३ राज्यं कृतं । संमत ८९४ वर्षे राजा वैरसिघ राज बैठो। वर्ष ११ राज्यं कृत। तत्पट्टे राजा खेमराज राज्यं कृत वर्ष ३६ । तत्पट्टे राजा चामंड वर्ष २७ राज्य कृत। तत्पट्टे राजा घाघड़दे वर्ष ३५ राज्यं कृत । तत्पट्टे अड़राज' वर्ष २६ राज्यं कृतं । समत १०१७ वर्षे एतले चावड़ा वंश राज्य पूरो हुवो।
वरस १६६ चावडा अणहलपुर-पाटण राज कियो । पछै दोहीतरै मूळ राज राज लियो । , समत १०१७ मूळदेव अणहलपुर-पाटण राज बैठो। दोहीतरनू राज ओयो। वर्ष ४५ राज कियो।
५रलादित्य और राणादित्य पाठ भी कई प्रतियोमे लिखे है। दूगडजीने 'रत्नादित्य' नाम लिखा है। 'वात अणहलवाड़ा पाटणरी' (प्रथम भाग, पृ २५६ मे) नैणसी ही ने 'राजादित' लिखा है।
* कई प्रतियोमे घायडदे, गाहडदे और गाहडदेव नाम लिखे है । अरणहलवाडा पाटणकी वातमे 'गूडराज' नाम है।
___+वात अणहलवाडा पाटगरी मे ८वा शासक 'भोवडराज' लिखा है। और छठा शासक चामडकी जगह 'चूडराव' लिखा है।
सम्वत् १०१७ तक चावडोके राज्यको १६६ वर्ष ही होते है, परतु जिन आठ . चावडे शासकोका राज्य-काल लिखा है, उनका योग २१३ होता है । ४७ वोका अतर है।
पाटणकी स्थापना की। 2 जिसके पाट पर वरणराजके पुत्र योगराजने ६ वर्ष राज्य क्यिा। 3 जिसके पाट पर । उसके बाद उसके पाट पर। 4 सम्बत् १०१७में इतने चावडा वशके शासकोके वाद चावडोका राज्य समाप्त हुआ। 5 दोहिते। 6 सम्वत् १०१७मे मूलदेव अरणहरापुर-पाटणके राज्य-सिंहासन पर बैठा । दोहितेको राज्य प्राप्त हुआ।