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पछै वरस ३ राज्य चलायो ।
पर्छ जैसिघदेरो भाई राणो तिहुयणपाळ, तेरो बेटो कुवरपाळ टीकै वैठो । संवत १९६६ काती सुदि ३ कुंवरपाळ टीकै बैठो । वर्प ३० मास १ दिन ७ राज्यं कृतं ।
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तियेरै पाट छोटो भाई महिपाळदे वर्ष १३ मास २ दिन ७ राज
कियो ।
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तत्पुत्र अजयपाळ वर्ष ३ मास 8 राज्य कृतं ।
तत्पट्टे लघु मूळदेव वर्प ३२ मास ४ दिन ६ राज्यं कृतं । तत्पट्टे राजा भीम वर्ष ३४ मास ११ दिन ८ राज्य कृत । तठा पर्छ वाघेला पाटणनो राज लियो । सवत् १२५३ राज फुरियो ।
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[ पृष्ठ ४६ की टिप्परगी चालू ]
पत्र ६७मे पाटरणकी कुडलीके साथ सम्वत् १०२ वैशाख सुदि ३ लिखा है और विगतोमे सर्वत्र ८०२ मवत है। अनूप संस्कृत लाइब्रेरीकी कुंडली और हमारे पास एक विगतकी कुंडली मे भी साधारण प्रतर है । लाइब्रेरीकी कुंडलीमे शनि तीसरे घरमे और मगल छठे घरमे स्थित है और हमारे पासकी विगतमे शनि दगवें घरमे, शुक्र चद्रमाके साथमे और मगल ११वे घरमे राहुके साथ बैठा हुआ है । अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेरकी स्यातमें लिखी हुई कुडली इस प्रकार है
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७ के.
८
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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श्री ॥ २शु च
१ र
१२
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वि. स ६०२रा वैसाख सुद ३ रोहणी नक्षत्र मध्यान विजय मुहूर्त्त पाटणरा कोटरी राग भरी ।
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स्यातकी अन्य हस्तलिखित प्रतियोंमे कुडली नही लिखी हुई है । परंतु 'श्ररणहलवाडा पाटणरी वात' मे यह लिखा हुआ सभी प्रतियोमे पाया जाता है कि- 'प्रणहलवाडा पाटणरी जन्मपत्रिका लिख्यते ।' (दे० प्रथम भाग, पृ० २५८, प्रतिम पंक्ति )
1 जिसके बाद जयसिंहके भाई रारणा तिहुरणपालके बेटे कुवरपालको टीका हुआ । 2 तीस वर्ष १ मात और सात दिन राज्य किया। 3 उसका पुत्र, जिसका पुत्र । 4 जिसके वाद वाचेलोंने पाटगका राज्य लिया । सम्वत् १२५३ मे राज्य- परिवर्तन हुग्रा ।