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मुंहता नेणसीरी ख्यात __ गढ माहै आप आयो तद कह्यो-'अबै माल-मता वताय ? 'पछै वताई।1 __ पछै काम आया था, जितरारा माथा काटनै भेळा किया। पछै
सइयै वांकलियेरो माथो काट सगळां माथा ऊपर मेलियो। कह्यो'हमारा कोल था वह पूरा किया। इसने जिसका वहुत खाया, तिसका _ही हुवा नही, सु हमारा क्या होयगा ?' पातस्याह गढ लियो।
पताई रावळ काम आयो । अर सइयो वाकलियो ही मारियो। गढ पालटियो।
वात पताई रावळरी सपूर्ण
अथ वात राव सलखंजीरी
राव सलजीर पुत्र नही सु एक दिन सिकार पधारिया तद दूर पधारिया अर असवारी हुती सु सर्व वासै रह गई। पर आप सिकाररै वास्तै एकल असवार कोस ४ तथा ५ प्रागै पधारिया । सु तृखा' लागी। तद जळरी ठोड जोवण लागा। तद आगै दरखतारो झाडो दीठौ, तपधारिया । तद वळे देखै तो एकै ठोड धुवो नीसरै छै। तपधारिया।' उठे देखे तो तपस्वी १ जोगी रावळ बैठो छ। उठ जाय ऊभा रह्या, नै जोगीरै पगै लागा। तद जोगी कह्यो'वावा ! थारी किसी ठोड़ ?'' तद कह्यो-'बाबाजी ! हूं सिकार आयो थो सु म्हारो साथ वास रहि गयो । अर हूं सिकाररै वासै लागो थको आगे आय नीसरियो । सु म्हनै तृखा लागी छै सु पाणी
1 अब माल-मता बता दे ? तब बता दी। 2 उन सबके। 3 इकटू किये। 4 सभी कटे हुए मस्तकोके ढेरके ऊपर रखा। 5 उसका भी नही हुआ। 6 और जो वाहन और उनके सवार थे सो पीछे रह गये। 7 तृपा। 8 तब पानीका स्थान देखने लगे। 9 आगे वृक्ष-समूह दिखाई दिया वहां गये। 10 पुन' उस ओर देखते है तो देखा कि एक जगहमे घूत्रां निकल रहा है। II वहा गये। 12 वहा जा कर खडे रहे और योगीका चरण स्पर्श किया। 13 तुम्हारा कौन स्थान ? (कहा रहते हो?) 14 पीछे । 15 और मैं शिकारके पीछे लगा हुआ याने आ निकला। 16 मुझे।