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अथ गढ सझिया* तैरी ख्यात लिख्यते'
समत ११०० नाहडराव पड़िहार मंडोवर वसायो । समत १३०० जाळोर मंडायो । समत १३७ · · · अलावदीन पातस्याह आयो । कान्हडदेजी अलोप
हुवा । वीरमदे काम प्रायो।। समत १६१८ मालदेवजी लियो । बीजै फेरै समत १६७४ कुवर गज
सिंघजी लियो। समत १५१५ ज्येष्ट सुदि ११ दोपहर सनिवार राव श्री जोधैजी
जोधपुर वसायो। संमत · · चित्रागद मोरी चीतोड वसायो । समत १३१० फागण वदी १३ महमद पातस्याह महमदावाद वसायो। समत १०७७ भोज पंवार रै वेटै वीरनारायण सिवांणो वसायो। समत १५१५ वरसिंघ जोधावत मेड़तो वसायो । संमत १६११ राव मालदेवजो लियो ।" समत १५२५ वीको कुवर जोधपुरसू आय जांगळू बसियो। समत १६४५ फळोधीरो कोट राव हमीर करायो। समत · · · राव वीदै मेहवो वसायो। पैहला भिरड़ रहता।' समत १६१२ अकबर पातसाह आगरो वसायो ।
* अनूप सस्कृत लाइब्रेरीकी प्रतिमे 'सझिया' के स्थान पर 'मडिया' लिखा है।
1 गढ वनाये गये अथवा विजय किये गये उनका वृत्तान्त । 2 सम्वत् १३००मे जालोरका किला बनवाया गया। 3 सम्वत् १३७ मे वादशाह अलाउद्दीन जालोरमें पाया, उस समय कान्हडदे तो अलोप हो गया और वीरमदे लडाईमे काम आ गया। 4 सम्वत् १६१८मे मालदेवजीने जालोर ले लिया। दूसरी बार सम्बत् १६७४ कुत्रर गजसिंहजीने ले लिया। (एक प्रतिमे सवत् १६७४के स्थान पर सवत् १६४४ लिखा है।) 5 राव मालदेवजीने सम्वत् १६११मे मेडता पर अपना अधिकार कर लिया। 6 राव वीदेने मेहवा नगर वसाया, पहले भिरडकोटमे रहते थे। मेहवा नगर और भिरडकोट मारवाड़ देशके मालानी प्रान्तमें बसे हुए थे। दोनो सदियो पूर्व उजड गये। मेहवा नगर पहाडोसे घिरा हुआ था। इस समय वहां एक विष्णु मदिर और एक शिव मदिर तथा तीन बडे-बडे जैन मदिर स्थित हैं।