Book Title: Mahopadhyay Yashvijay ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Author(s): Amrutrasashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust
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________________ // श्री सांचा सुमतिनाथाय नमः // हार्दिक शुभेच्छा परम पूज्य प्रातः स्मरणीय गच्छाधिपति, राष्ट्रसंत साहित्यमनीषी, शासन प्रभावक पूज्य आचार्यदेव श्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की आज्ञानुवतिनी सरल-स्वभावी, मातृहृदया पू. साध्वीजी श्री भुवनप्रभाश्रीजी म.सा. की सुशिष्या साध्वी श्री अमृतरसाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की पवित्र सेवा में... श्री सांचा सुमतिनाथ राजेन्द्र जैन श्वेताम्बर ट्रस्ट सादर वंदनावली स्वीकारशोजी। यहां देव-गुरु कृपा से आनंद-मंगल वहां पर आप सभी के पावन संयम देह की हार्दिक कुशल कामना करते है। . वि.वि. साथे पू. साध्वीजी श्री अमृतरसाश्रीजी म.सा. को विदित हो की आपश्री ने महोपाध्याय पू. यशोविजयजी म.सा. का दार्शनिक ग्रन्थ चिंतन वैशिष्ट्य ग्रंथ पर सुंदर-चिन्तन पूर्ण अध्ययन कर पी.एच.डी. डीग्री प्राप्त की यह बात जानकर श्री संघ अत्यंत प्रसन्नता की अनुभूति करता है। आपको शतशः अभिनन्दन-धन्यवाद-हार्दिक बधाई आगे भी आप ज्ञान के उच्चतम शिखर प्राप्त कर गुरु गच्छ की एवम् शासन की शोभा बढायें ऐसी परमात्मा से प्रार्थना... ली. श्री साँचा सुमतिनाथ राजेन्द्र जैन श्वेताम्बर ट्रस्ट मदुरै मीठालालजी सक्लेच 27-8-2013 . આત્મીય શુભકામના 5. ५४य साध्वी भगवंत श्री. ........................ मे ५.५४य यशोवि४५७ મહારાજ પર સુંદર પુસ્તકનું આલેખન કર્યું. અને જ્યારે તે દળદાર પુસ્તક સકળ શ્રીસંઘ સમક્ષ વિમોચિત થવા જઈ રહ્યું છે. ત્યારે શ્રી સુરત બૃહદ્ તપાગચ્છીય ત્રિસ્તુતિક જૈન સંઘ આત્મીય શુભકામના વ્યક્ત કરે છે તથા પ.પૂ. સાધ્વીજી ભગવંતોના આ સ્તુત્ય પ્રયત્નને હૃદયથી બિરદાવે છે. આ પુસ્તક શ્રી સકળસંઘના મોક્ષમાર્ગે પ્રયાણનું નિમિત્ત બને તેવી मामिलाषा सह... वि.सं. 2069, मासो શ્રી નીતિનભાઈ ચુનીલાલ અદાણી सु६-१०, सुरत પ્રમુખ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org