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-४६.१०.२]
महाकवि पुष्पदन्त विरचित
हुंकारु ण मुयइ ण देहि भणय पउ सण्णइ ण गंधव्यु झुणइ । परमेसरु पंचायारसारु
दक्खवइ वीर भिक्खावयारु । जा छुडु जि भवणप्रंग पझ्दछु ता सोमयत्तराएण दिद। कर मनलिवि करेवि उरुत्तरी संचिउँ पुण्णकुरपवरवीउ । काएं क्यणे सुद्ध मण
आहारदाणु बहु विष्णु तेण । दुंदुहिसरु सुरसर पुष्फविटि घणु वरिसिप्ट हूई रयणविहि। तहि योजई पंच समुग्गयाई पालंतु संतु संतई वयाई। थिउ तिषण मास छम्मत्थु तांबणायावणिरुहतलु पस जर्जाय । फरगुणि दिणि सत्तमि किण्हवक्खि अवरण्डा तहिं णिक्खवणरिक्खि । छट्वेणुवयासें केवलक्खु उपाइउँ गाणु विवञ्जियक्खु। धत्ता-कहाणि चउत्थइ जइवइहि सुरयणु दिसहि ण माइउ ।।
अहिरामै अहिणवभत्तिवसु अहिहु' अहीसरु आइज ।।९||
लोयालोयविलोयणणाणं सिरिणाहं ससहरकत पयडियदंत केकाले
श्रुणइ मियंको अको सको मुणिणाई । हत्थे ' सूलं खंडकवालं करवालं ।
न हुंकार करते हैं, और न यह कहते हैं कि 'दो'। न क्लान्त होते हैं, न गन्धर्व गाते हैं, फिर भी पांच प्रकारके आचारों में श्रेष्ठ वीर परमेश्वर (चन्दप्रभु) भिक्षा अघतारको दिखाते हैं। जैसे ही वह शीघ्र घरके आँगनमें प्रवेश करते हैं, वैसे ही राजा सोमदत्तने उन्हें देख लिया, हाथ जोड़कर और उत्तरीयको उरपर करते हुए उसने पुण्यरूपी अंकुरोंके प्रवर बोज इकट्ठे कर लिये । शुद्ध मन-वचन-कायसे उनके लिए उसने आहार दान दिया । दुन्दुभिस्वर, देवोंका साधुवाद, पुष्पवृष्टि धन बरसा और रस्नोंकी वर्षा हुई । इस प्रकार यहाँ पांच आश्चयं प्रकट हुए। शान्त व्रतोंका परिपालन करते हुए जब वह छपस्थ तीन माह स्थित रहे तो वह नागवृक्षकी तलभूमिपर पहुंचे । फागुन माहके कृष्णपक्षकी सप्तमीके दिन, अपराल में अनुराधा नक्षत्र में छठे उपवासके द्वारा उन्हें इन्द्रियोंसे रहित केवल नामका ज्ञान केवलज्ञान प्राप्त हो गया।
पता-उन यतिवरके चौथे कल्याणमें देवता लोग दिशाओं में नहीं समा सके। सोन्दर्यसे अभिनव भक्तिके वशीभूत होकर नागराज भी पृथ्वीको लक्ष्य करके आया ||५||
चन्द्र, सूर्य और इन्द्र लोकालोकका अवलोकन करनेवाले ज्ञानसे युक्त लक्ष्मीके पति मुनिनाथ (तीर्थकर) की स्तुति करते हैं, 'जो चन्द्रमाके समान कान्तिवाले हैं, जिनके दात प्रकट हैं, जो ९. १. A reads d as b and b as a । २. AP पंगणु । ३. A सोमदत्त । ४. A का मलि करेविणुरंतरिउ; P कर मलिकरघिणु उत्तरी । ५. A सिचिठ। ६. AP पुण्णंकुरु ! ७. AP वरिसिवि ।
८.A उपाय; P उम्पण्णउं । ९. A अहह । १०.१ A हत्थे संडं फूलकवंडं करवाले।