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महापुराण
[५७.१३.५पुण्णचंदु भयवंतु णवेप्पिणु पवरदियंघरविसि लएप्पिणु । जायज इंदियदप्पवियारणु मणपज्जयणाणित जहचारणु । रामयत्तदेवी मणोहरि
दिट्ठउ काणणि ललियलयाइरि। बदिव वंदणिज्जु णियमायइ पुणु आवच्छिउ सुमेहुरवायइ। कुच्छि सलक्खण एक महारी तुहुँ जणिओ सि जाइ भषवइरी। अज्ज वि अच्छइ काई रमारउ धम्मु ण गेहद भाई तुहारउ । तं णिसुणेप्पिणु भणइ भडारउ णिसुणहि ससयणभववित्थार । धा-कोसलषिसयंतरि धणभरिट वुड्ढगाउं वइपरियरिउ ।
वहिं आसिमिायणु विप्पयर महुरइ बंभणोइ धैरिउ ।।१३।।
सज्जणमोह णि णाव वारुणि धीय विहि मि उप्पणी वारणि । मरिवि मयायणु पुरि साकेयह अइबलणामणरिदणिकेयइ। सुईदेति हि गम्भि समारान परिम वि थीलिंगचहु आयट । धीय हिरण्णवइ त्ति य जायउ भुचणि वियंभइ कम्मविवायउ | पोयणपुरवरि रूपरवपणी
पुषणयंदणरणाहहु दिण्णी । जा चिरु महुर सा जि तुहुं हुई रामयत्त दोहं मि सिरिदूई । भद्दमिच सुज तुह उप्पण्णउ सीहइंदुहाई हिं भिषण ।
वारुणि पुण्णर्यदु जाणिज्जसु अम्मिइ मोहु हवंतु खमिज्जसु । धरती अपने भाइयोंको देकर ज्ञानवान् पूर्णचन्द्रकी वन्दना कर, प्रवर दिगम्बर दीक्षा ग्रहण कर, इन्द्रियोंके दर्पका विदारण करनेवाला मनःपर्ययज्ञानी और आकाशचारी हो गया। रामदत्ता देवीने सुन्दर ललित लतागृहमें उसे देखा । उनको अपनी माताने वन्दनीय उनको वन्दना की और अत्यन्त मधुर वाणीमें पूछा, "हमारी कोख से एक तुम सुलक्षण हुए थे, जो संसारका शत्रु हो गया। लेकिन तुम्हारा भाई ( पूर्णचन्द्र ) आज भी लक्ष्मी में अनुरक्त है। तुम्हारा भाई धर्म ग्रहण क्यों नहीं करता?" यह सुनकर वह आदरणीय कहते हैं कि अपने जनका भव विस्तार सुनो।
पत्ता-कोशल देशमें वृत्तिसे घिरा हुआ धनसे भरा हुआ वृद्ध गांव है। उसमें मुगायन नामका ब्राह्मण है, जो मधुरा नामको ब्राह्मणोके द्वारा वरित था ॥१३॥
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उन दोनोंके वारुणी नाम की कन्या उत्पन्न हुई जो सज्जनों को मोहनेवाली जैसे वारुणो (सुरा) थी। वह विप्रवर मृगायण मरकर, साकेत नगरी में अतिबल नामक राजाके घरमें सुमति . देवीके गर्भ में आया। वह पुरुष होते हुए भी स्त्रीलिंगमें आया। वह हिरण्यवती नामकी कन्याके रूपमें विख्यात हुआ । कर्मका विपाक संसारको बढ़ाता है। रूपसे सुन्दर यह पोदनपुरमें पूर्णचन्द्र नामक नरनाषको दी गयो । जो पहले मधुरा धी बही तुम इस समय रामदत्ता हुई हो, तुम दोनों हो लक्ष्मीको दूती हो । भद्र मित्र तुम्हारा पुत्र उत्पन्न हुआ और स्नेहसे भिन्न मैं सिंहचन्द्र हूँ।
४. A एपिणु । ५. A समहर । ६. AP मिगावणु । ७. AP बरिउ । १४. १. P मियागण । २. AP सुम्मइदेविहि । ३. A पोलिगि तह । ४. ५ पुण्ण ईद । ५. AP सोहचंदीर
६. AP खवेज्जसु।