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महाकवि पुष्पदन्त विरचित पुच्छिड सिद्धत्तणु कम्मि कालि होसइ रिसि भणइ भवंतरालि। चोत्था णित्थरह भवक्षिणोरु । तं सुणिषि कण्ण बिहुणिवि सरीरु। आउपिछवि हरि घल बे वि वाय वंदिवि सुव्वयसंजइहि पाय । णिवकुमरिहि सहुं सहि सरहिं पावन लक्ष्य भूसियवरहिं । एयारहमइ दिवि सुहणिहाणि सुरवरु हुई पाणावसाडि | केसवु महि मुंजिवि फम्मणटि रयणप्पहवसुहाधिवरि पडिष्ट । सुउ रजि थवेषि अर्णत सेणु जसहरगुरुचरणयुरुहि लीणु । तब चरिवि सीरि विहडियकसाउ सोलहमइ सम्गि सुरिंदु जाए । घत्ता-पिड जायउ जो उरयाहिवइ तासु पासि दसगरयणु ॥
पावेपिणु परयहु णीसरिउ सो अणवीरियउ पुणु ॥१४॥
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भरहम्मि एत्थु विजयाचलि दि उत्तरसे ढिहि धवलहररुदि। पाहवल्लहपुरि घणयाहु राउ घणमालिणिवरकतासहाउ। घणवणउ जायउ वाहं पुत्तु घणणाहु णाम णवणलिणणेस्तु । सो सयलस्खयरखोणीव ईसु मंदरणदणवणि णमियसीसु। पण्णत्तिविज संसाहमाणु अध्चुयणा बोहिउ सणाणु ।
सम्मत्तु लएप्पिणु तिमिरणासु णिक्खंतु सुरामरगुरुहि पासु। बताया कि चौथे जन्मान्तरमें संसाररूपी समुद्र के जलसे तुम लोग तर जाओगी। यह सुनकर कन्या (सुमति ) अपना शरीर कपातो हुई, नारायण और बलभद्र पितासे पूछकर, सुअता आर्यिकाके चरणोंको प्रणाम कर व्रतोंसे भूषित सात सौ राजकुमारियोंके साथ प्रवजित हो गयो। प्राणोंका अन्त होनेपर वह सुखके निधान ग्यारहवें स्वर्गमें देव हुई। कर्मोसे प्रतारित केशव, नारायण, रत्नप्रभा नामक नरकमें गया । अपने पुत्र अनन्तसेनको राज्यमें स्थापित कर यशोधर महामुनिके परणकमलोंमें लोन होकर और तपश्चरण कर विघटित कषाय श्री बलभद्र सोलहवें स्वर्ग में सुरेन्द्र हुए।
पत्ता-उनका पिता स्मितसागर धरणेन्द्र हुआ। उसके पाससे सम्यग्दर्शनरूपी रत्न पाकर अनन्तवीर्य नरकसे पुनः निकला ॥१४॥
इस भरत क्षेत्र में विजया पर्वतकी उत्तरश्रेणी में धवल गृहोंसे विशाल नभवल्लभ नगरमें मेघमालिनी नामक सुन्दर कान्ता जिसकी सहायक है, ऐसा मेघवाहन नामका विद्याधर राजा था। वह ( अनन्तवीर्यका जीव) उन दोनोंका मेधके समान वर्णवाला तथा नवनलिनके समान नेत्रवाला मेघनाद नामका पुत्र हुआ। समस्त विद्याधर भूमिका स्वामी मेघनाद मन्दराचलके नन्दनवन में सिर झुकाये हुए प्रति विद्या सिद्ध कर रहा था। अज्ञानी उसे अच्युतेन्द्रने सम्बोधित किया। तिमिरके नाशक सम्यक्त्व को लेकर और देव तथा अमरोंके गुरुके पास संन्यास लेकर, १५. १. A नृवकुमरि हि; P णित्रकुरिहिं । २. K प्राणावसाणि । ३. P असहरचरणबुरुहे णिलोणु ।
. AP दसणु रयणु । ५. P बोरित। १५. १. A परिण उ । २. A पणत्त । ३. P अणाणु; K अणाणु bur corrects it to सणाणु ।