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महापुराण
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दुबई - मगहर भद्दलक्खणायारह महललग्गकुंभ ।। दोचालीसक्ख मायंग अरिक रिवरणिसुंभ ॥ पायाहु कोडिउ तेतियाउ । वकोडिन जाइतुरंगमाहं ।
मह अटू महासईए । सोलह सहास सीमंतिणीहि । सोलइ सहास गौड्यवराई । सोलह सहास खेडादिवाहं । पणास सहस दोणामुहाई ।
नेव महस संवाहा | वसुसम सहास जक्खामराई | पण्णास णिउत्तई तिणि स्यई ।
दुई दुगाँई । किं अक्खमि संपय वप्प तासु । जा हरणाहरु हुइय मारि ।
पत्ता - तहि परमेस रिहि रइरससरिहि हरिणा हरिसरवण्णा ||
तेत्तिय रह रणभरजोतियाउ
जलथल गयणंतर जंगमाई जंभारिपीलुलीलाई पिरुपी पीचरुण्यथणीहि
सोलह सास देत राहूं सोलह सहास घरि पस्थिवाहूं हाच सहाम मेच्छाहवाह सहस रपट्टणाएँ छत्तीस सहस साहित्य पुराह पचंतनिवास शिवइ येई गिरितरुजलवाहिणि संगमाई
गामहं कोडिङ अडदाल जासु जा णाम सर्यपह इट्टणारि
[ ५२. २६. १
पहिलउ सिरिविजन बीउ विजउ तनय दोणि उपपणा || २६॥
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जो सुन्दर भद्रलक्षण धारण करनेवाले हैं, जिनके कुम्भस्थल आकाशतलसे लगते हैं, और जो शत्रुगजों का नाश करनेवाले हैं, ऐसे दो लाख चालीस हजार हाथी उसके पास थे। उतने ही युद्धभार में जोते हुए रथ थे। पैदल सैनिक भी उतने ही करोड़ थे । जल, थल और आकाश में चलतेवाले नौ करोड़ घोड़े थे। ऐरावतकी चालकी तरह चलनेवाली आठ महासती देवियां थीं । अत्यन्त स्थूल कर उन्नत स्तनोंवाली सोलह हजार स्त्रियाँ थीं। सोलह हजार देशान्तर, सोलह हजार नाटकवर, सोलह हजार गृह पार्थिव ? सोलह खेड | धिपति, नौ हजार म्लेच्छ राजा, पचास हजार द्रोणमुख, चौबीस हजार उत्तम पट्टन, सास हजार संवाहत, छत्तीस हजार और यक्ष अमरोंके आठ हजार नगर कहे गये हैं। तीन सौ पचास सीमान्त राजा उसके प्रति नत थे। गिरितरुओं और नदियोंसे युक्त चौदह दुर्गम यन दुर्ग थे। जिसके पास एक करोड़ मड़तालीस गांव थे, मैं अकिंचन कवि उसका क्या वर्णन करूं ? जो उसकी स्वयंप्रभा नामको प्रिय पत्नी यो, यह विद्याधरोंके लिए मारी सिद्ध हुई ।
घत्ता - रतिरूपी रसकी नदी उस परमेश्वरीसे हर्षसे सुन्दर हरि ( त्रिपृष्ठ ) को दो पुत्र उत्पन्न हुए - पहला श्रीविजय और दूसरा विजय || २६ ||
२६. १. A यर । २. जब मणियत आई । ३. वराहं । ४ AP सहो । ५. A शिवह नियई । ६. A संगमाहं । ७. दुग्गमाहं ।