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[ ५३. ४. १४
महापुराण दोहरत्थमग्गएहिं
वोममग्गलग्गहि। धूवगंधसुंदरेहि
सत्तभूमिमंदिरेहि। वत्ता-एह सोइ जे पुरु तहिं घरि सुहं सुवइ ।।
सिविणयसंतइ पविलोक्य पंकयणेत्ता ॥ ४॥
हत्थि दाणवारिवारिसमत्तछप्पओ गोवई विसाणघायभम्गसालिवपओ । केसरी मर्यधगंधकंभिकभदारणोणक्खजोण्हियामिलंतमोत्तियंसुवारणो। हंसकामिणीहि सेवियारविदवासिरी पुंडरीयवामणेहि सिंचिया महासिरी। पारियायपोमपोंमलं परायसंमुयं मत्तभिंगसंगय ललंतमालियाजुयं । णालियंधयारओ वरों विहायरीवई कंजबंधयो सरम्मि दिण्णपोमिणीरई। पेमै भला चला गिरंतर वियारिणो । फीलमाणया महासरंतरे विसारिणो । वारिवारपूरियं सरोव्हेहिं अंधियं कुंभजुम्म पवित्तचंदणेण चश्चियं । पंकयायरो चलतलच्छिणेउरारको णोरघुम्मिरो तरंगभंगुरो महण्णवो।
सीहमडियासणं रणवकिंकिणीसरं इंदमंदिरं वरं महाफणीसिणो घरं । १० पुजओ मणीण दिचिरजियावणीयलो धूमचत्तओ पलित्तजी सिहाचलोणलो।
प्रमुखों के लिए चलने में कठिन लम्बी गलियों और मार्गों और आकाशमार्गसे लगे हुए धूप-गन्धसे सुन्दर सातभूमिवाले घरोंसे
घत्ता-वह नगर शोभित था। वहाँ घरमें सुखसे सोती हुई कमलनयनी जयावती स्वप्नमाला देखती है। ॥४॥
मदजलके प्रवाहमें अनुरक्त मत्त भ्रमर जिसपर हैं, ऐसा हाथी जिसने सींगोंके आधातसे क्षेत्रखण्डको खोद डाला है, ऐसा गोपति (बैल); मदान्ध गन्ध गजके कुम्भस्थलका विदारण करनेवाला तथा नखोंकी ज्योतिसे मिलती हुई मोतियोंकी किरणोंका निवारण करनेवाला सिंह, हंसिनियोंके द्वारा सेवित, कमलोंमें निवास करनेवाली, पुण्डरीक और वामन दिग्गजों के द्वारा अभिषिक्त महालक्ष्मी; पारिजात और कमलोंसे मिश्रित, परागको भूमि, मतवाले भ्रमरोंसे युक्त विलसित पुष्पमाला युग्म, जिसने अन्धकारका नाश किया है ऐसा श्रेष्ठ चन्द्रमा, सरोवरमें जिसने कमलिनियोंको कान्ति दी है ऐसा कमलबन्धु ( सूर्य }; प्रेमसे विह्वल, चंचल निरन्तर विवरण करनेवाली क्रीड़ा करती हुई महासरोवरमें मछलियाँ जलसमूहसे पूरित, कमलोंसे अंचित, पवित्र बन्दनसे चर्षित कुम्भयुगल; जिसमें गलती हुई लक्ष्मोके नूपुरोंका शब्द हो रहा है ऐसा सरोवर तरंगोंसे भंगुर और जलसे पालोडित समुत्र सिंहोंसे अलंकृत आसन ( सिंहासन ); जिसमें किकिणियोंका स्वर है ऐसा इन्द्रविमान और महानागका श्रेष्ठ घर । जिसने अपनी दीप्तिसे भवनीसलको रंजित किया है ऐसा मणियोंका समूह; घूमसे रहित, शिखामोंसे चंचल प्रदीत आग।
५. AP वोमक्षामलम्गएहि । ६. A सुहि सुतइ । ५. 1. Aरंतमत्त । २. A हिमाहियो णिसावई । ३. A पिमबिमला। ४. AP तारधारिपूरियं ।
५. A सीहवीडियं रणतः।