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- १२. २२.६
महाकवि पुष्पदन्त विरचित
वय
केण वि सुयरिषि पहुदिष्णु गाउँ hor त्रिसुरिवि पहुचामराई हुभिर व hora सुरिषिपत्तछाहि वि" सुमरिवि पत्थि पसाउ विरिवि पहुपालियाई दुबइरिभग्गणविहन्तु कासु विरणमंदिरं मिणीइ
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वत्ता - कासु वि सिरकमलु ओदलु गिद्ध सचंचु चाल ।। परितोसि जण महिवइरिणहु णं भोलषणु विहालह ॥ २१ ॥ २२
दुबई- -ता सहस ति पत्तु हरिकंधरु पमणइ तसियवासवो ॥ भो भो कह कह कर्हि अच्छ सो महु वहरि केसवो ॥ ता उत्तु कण्हेण भो मेइणीराय सोई रिक केसवो एहि विष्णाय । जाणिजए अज्ज दोन्हं पि रूसेवि को हइ सिरु लुइ रणरंग पइसेवि । कुद्धेन सिरिकुणी पुर्णय देण अलयावरीसेण खयरणरिंदेश | संगामरामारइच्छाणिउत्ते तं सुणिवि पडिलविर्ड सिहिगीवपुरोण |
छेड्डि णियजीवियभूयगणं । सहियई पक्खिक्खं तराई । केण वि पडिवणचं बाणस्यणु । आसंघिय घणसर पुंखथाहि । चक्र अरिवीरपहारसा | मयगलकुंभयलाई फालियाई । भलारजं धीरजं रायरतु ।
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हियaj लक्ष्य सिवकामिणी ।
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मांस की इच्छा की। किसोने सुन्दर प्रभु वस्त्रको चिन्ता कर लटकते हुए अपने ही देहचको बहुत माना । किसीने स्वामीके द्वारा दिये गये गाँवको याद कर अपने जीवन और इन्द्रियोंका गांव छोड़ दिया। किलोने स्वामीके चमरोंको याद कर पक्षियोंके पक्षान्तरोंकी सराहना की। प्रभुकै पुण्यसे भरे हुए मुखको टेढ़ा कर किसीने बाणोंका शयन स्वीकार कर लिया। किसीने स्वामीकी छत्रच्छायाकी याद कर सघन तीरोंकी पुंख छायाका आश्रय ले लिया। किसीने राजा के प्रसादकी याद कर शत्रुके वीर प्रहारके स्वादको चख लिया। किसीने प्रभुके द्वारा पालित और स्फारित मंगल गोंके कुम्भस्थलोंकी याद कर दुर्निवार शत्रुके तीरोंसे विभक्त राजामें अनुरक्त धैर्यको अच्छा समझा। किसीके हृदयको रणरूपी मन्दिरको स्वामिनी शिवा (गालिनी) रूपी कामिनीने ले लिया । धत्ता- किसी के सिररूपी कमल और ओष्ठपुटरूपी दलको गोध अपनी चोंच से चालित करता है, मानो जनों को परितोषित करनेवाले राजाके ऋण के मूल्यको देख रहा है ||२१||
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तब सहसा अश्वनीय यहाँ पहुँचता है, और इन्द्रको सतानेवाला वह कहता है कि और बताओ- बताओ, वह वह मेरा दुश्मन नारायण कहाँ है ? तब नारायणने कहा, 'हे पृथ्वीराज, वह मैं तुम्हारा शत्रु केशव हूँ। हें न्यायहीन, आज पह जाना जायेगा कि हम दोनोंके रूठनेपर कौन युद्ध रंग में प्रवेश कर मारता है और सिर काटता है ?' तब लक्ष्मीरूपी कुमुदिनीके पूर्ण चन्द्र अलकापुरीके स्वामी विद्याधर राजा, संग्रामरूपी स्त्रीसे रमणको इच्छा रखनेवाले मयूरग्रोव
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७. A गाठ; P ८९. A गाव: Pगामु । १०. A सुर्धारिस P सुअरिवि । ११. पालिया । १२. A सामिनी । १३. A कामिणीहि । १४. A
२२. १. AP पुण्ण इंद्रेण ।
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