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लोकानुप्रेक्षा
अब देवोंकी अवगाहना कहते हैं
ससुराणं पणवीस, सेसं गवभावणाय दहदंडं । वितरदेवाण तहा, जोइसिया सत्तधगुदेहा ॥ १६६ ॥
अन्वयार्थः - [ असुराणं पणवीसं ] भवनवासियोंमें असुरकुमारोंके शरीरकी ऊँचाई पच्चीस धनुष [ सेसं णवभावणा य दहदंडं ] बाकी नौ भवनवासियोंकी दश धनुष [ वितरदेवाण तहा ] व्यन्तरोंके शरीरकी ऊँचाई दस धनुष [ जोइसिया साधणुदेहा ] और ज्योतिषी देवोंके शरीरकी ऊँचाई सात धनुष है
अब स्वर्गके देवों की कहते हैं
दुगदुगचदुचदुदुगदुगकप्पसुराणं सरीरपरिमाणं । सत्तछह पंचहत्था, चउरो अद्धद्ध होगा य ॥ १७० ॥ हिहिममज्झिमउवरिमगेवज्भे तह विमाणचउदसए । अजुदा वे हत्था, होणं अद्धद्धयं उवरिं ॥ १७१ ॥
अन्वयार्थः–[ दुगदुगचदुचदुदुगदुगकप्पसुराणं सरीरपरिमाणं ] दो ( सौधर्म,
ईशान ) दो ( सानत्कुमार, माहेन्द्र ) चार ( ब्रह्म, ब्रह्मोत्तर, लान्तव, कापिष्ठ ) चार ( शुक्र, महाशुक्र, सतार, सहस्रार ) दो ( आनत, प्राणत ) दो ( आरण, अच्युत ) युगलोंके देवोंका शरीर क्रमसे [ सत्तछहपंचहत्था चउरो अद्धद्ध हीणा य ] सात हाथ, छह हाथ, पाँच हाथ, चार हाथ, साढ़े तीन हाथ, तीन हाथ ऊँचा है [ हिडिममज्झिमउवरिमवज्मे तह विमाणचउदस ] अधोन बेयक में, मध्यमग्र वेयक में, ऊपर के ग्रैवेयक में, नव ( 8 ) अनुदिश तथा पाँच अनुत्तरमें क्रमसे [ अद्धजुदा वे हत्था हीणं श्रद्धद्वयं उचरिं TET आधा हाथ हीन अर्थात् ढाई हाथ, दो हाथ, डेढ हाथ और एक हाथ देवोंके शरीर की ऊँचाई है ।
अब भरत ऐरावत क्षेत्र में कालकी अपेक्षासे मनुष्योंके शरीरकी ऊँचाई कहते हैं
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अवसपिणिए पढमे, काले मण्या तिकोसउच्छे हो । छवि अवसाणे, हत्थपमाणा विवत्थाय ॥ १७२॥
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