Book Title: Karmagrantha Part 6 Sapttika
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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गुण०
मि० | सा० | मि० | अवि० देश० प्रमत अप्रमत्त अपूर्व० अनि० सूक्ष्म० उपशा० क्षीण स० के ०/०के०
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बन्ध उदय
| ८८८ सत्ता विकल्प | २
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षष्ट कर्मग्रन्थ : गा०६
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मूल प्रकृतियों के गुणस्थानों में पाये जाने वाले बन्ध, उदय, सत्ता के संवेध भंगों का ज्ञापक विवरण इस प्रकार है
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काल
बन्ध| उदय | सत्ता
गुणस्थान
जघन्य
उत्कृष्ट
१८८
७ ८
८
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Ginी
दसवाँ
१,२,३,४,५,६,७ । अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त ८ | १,२,३,४,५,६,७,८,९ अन्तर्मुहूर्त
छह माह कम तेतीस सागर अन्त
मुं० न्यून पूर्वकोटि त्रिभाग अधिक एक समय
अन्तमुहूर्त ग्यारहवाँ एक समय
अन्तर्मुहूर्त बारहवाँ अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त सयोगिकेवली अन्तर्मुहूर्त
नववर्षान पूर्वकोटि | अयोगिकेवली पंच ह्रस्व स्वर उच्चारण प्रमाण पंच ह्रस्व स्वर उच्चारण प्रमाण
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