Book Title: Karmagrantha Part 6 Sapttika
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 537
________________ पारिभाषिक शब्द-कोष दर्शनमोहनीय का उपशम करके उपशम सम्यक्त्व को प्राप्त होता है, उसे द्वितीयोपशम सम्यक्त्व कहते हैं । विस्थानिक-कर्म प्रकृतियों के स्वाभाविक अनुभाग से दुगना अनुभाग । धनुष-चार हाथ के माप को धनुष कहा जाता है । धारणा-अवाय के द्वारा जाने हुए पदार्थ का कालान्तर में विस्मरण न हो, इस प्रकार के संस्कार वाले ज्ञान को धारणा कहते है । ध्रुवोक्या प्रकृति--अपने उदयकाल पर्यन्त प्रत्येक समय जीव को जिस प्रकृति का उदय बराबर बिना रुके होता रहता है। . ध्रुवबन्ध-जो बंध न कभी विच्छिन्न हुआ और न होगा। ध्रुवबंधिनी प्रकृति-योग्य कारण होने पर जिस प्रकृति का बंध अवश्य होता है । ध्रुवसत्ताक प्रकृति---जो अनादि मिथ्यात्व जीव को निरन्तर सत्ता में होती है, सर्वदा विद्यमान रहती है। नपुंसक वेद-स्त्री एवं पुरुष दोनों के साथ रमण करने की इच्छा । नयुत-चौरासी लाख नयुतांग का एक नयुत होता है । नयुतांग---चौरासी लाख प्रयुत के समय को कहते हैं । नरकगति नामकर्म-जिसके उदय से जीव नारक कहलाता है । नरकायु-जिसके उदय से जीव को नरकगति का जीवन बिताना पड़ता है। नलिन-चौरासी लाख नलिनांग का एक नलिन होता है। नलिनांग-चौरासी लाख पद्म का एक नलिनांग कहलाता है। नामकर्म-जिस कर्म के उदय से जीव नरक, तियंच, मनुष्य और देवगति प्राप्त करके अच्छी-बुरी विविध पर्यायें प्राप्त करता है, अथवा जिस कर्म से आत्मा गति आदि नाना पर्यायों को अनुभव करे अथवा शरीर आदि बने, उसे नामकर्म कहते हैं। नारक-जिनको नरकगति नामकर्म का उदय हो। अथवा जीवों को क्लेश पहुंचायें । द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव से जो स्वयं तथा परस्पर में प्रीति को प्राप्त न करते हों। नाराचसंहनन नामकर्म-जिस कर्म के उदय से हड्डियों की रचना में दोनों तरफ मर्कट बंध हो, लेकिन वेठन और कील न हो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584