Book Title: Karmagrantha Part 6 Sapttika
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 569
________________ ७० पिण्डप्रकृति-सूचक शब्द - कोष (उ) उच्छ्वास चतुष्क - उच्छ्वास, आतप, उद्योत पराघात नाम । उद्योत चतुष्क - उद्योत नाम, तियंचगति, तिर्यंचानुपूर्वी, तिर्यंचायु । उद्योतत्रिक - उद्योत नाम, आतप नाम, पराघात नाम । उद्योतद्विक उद्योत नाम, आतप नाम । (ए) एकेन्द्रियत्रिक - एकेन्द्रिय जाति, स्थावर नाम, आतप नाम । (औ) औदारिकद्विक - औदारिक शरीर, औदारिक अंगोपांग नाम । औदारिकसप्तक - औदारिक शरीर, औदारिक अंगोपांग, औदारिक संघात औदारिक- औदारिक बंधन, औदारिक- तेजस बंधन, औदारिक कार्मण बंधन, औदारिक- तैजस- कार्मण बंधन नाम । (क) sure पंचविशति:- ( कषाय मोहनीय के २५ भेद ) अनन्तानुबंधी क्रोध, मान, माया, लोभ; अप्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ, प्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ, संज्वलन क्रोध, मान, माया, लोभ, हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुरुषवेद, नपुंसक वेद । कषायषोडशक -- अनन्तानुबंधी क्रोध, मान, माया, लोभ; अप्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ; प्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ; संज्वलन क्रोध, मान, माया, लोभ । केवलद्विक --- केवलज्ञानावरण, केवलदर्शनावरण | (ख) खगतिद्विक- शुभ विहायोगति नाम, अशुभ विहायोगति नाम । (ग) गंधद्विक - सुरभिगंध नाम, दुरभिगंध नाम । गतित्रिक -गति नाम, आनुपूर्वी नाम, आयुकर्म । गति द्विक--- गति नाम, आनुपूर्वी नामकर्म । गोत्रद्विक -- नीचगोत्र, उच्चगोत्र कर्म | ज्ञानत्रिक - मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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