Book Title: Karmagrantha Part 6 Sapttika
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 570
________________ परिशिष्ट-३ ज्ञानावरणपंचक- मतिज्ञानावरण, श्रु तज्ञानावरण, अवधिज्ञानावरण, मनःपर्याय ज्ञानावरण, केवलज्ञानावरण । ज्ञानावरण-अंतरायदशक-मतिज्ञानावरण, श्रु तज्ञानावरण, अवधिज्ञानावरण, मनःपर्यायज्ञानावरण, केवलज्ञानावरण; ज्ञानान्तराय, लाभान्तराय, मोगान्तराय, उपभोगान्तराय, वीर्यान्त राय । घातिचतुष्क -ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय, अन्तराय कर्म । जातिचतुष्क-एकेन्द्रिय जाति, द्वीन्द्रिय जाति, त्रीन्द्रिय जाति, चतुरिन्द्रिय जाति । जाति त्रिक- (१) एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय जाति; (२) नरक, तियंच, मनुष्य, देवगति; (३) शुभ विहायोगति, अशुभ विहायोगति । जिनपंचक-तीर्थकर नाम, देवगति, देवानुपूर्वी, वैक्रिय शरीर, वैक्रिय अंगोपांग " नाम । जिनकादश- (तीर्थकर आदि ११ प्रकृतियाँ) तीर्थंकर नाम, देवगति, देवानुपूर्वी, वैक्रिय शरीर, वैक्रिय अंगोपांग, आहारक शरीर, आहारक अंगोपांग, देवायु, नरकगति, नरकानुपूर्वी, नरकायु। तनु-अष्टक - (१) औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तेजस, कार्मण शरीर; (२) औदारिक, वैक्रिय, आहारक, अंगोपांग; (३) समचतुरस्र, न्यग्रोधपरिमंडल, सादि, वामन, कुब्ज, हुण्ड संस्थान; (४) वज्रऋषभनाराच, ऋषभनाराच, नाराच, अर्धनाराच, कीलिका, सेवार्त संहनन; (५) एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, श्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय जाति; (६) नरक, तिर्यंच, मनुष्य, देवगति; (७) शुभ विहायोगति, अशुभ विहायोगति; (८) नर कानुपूर्वी, तियंचानुपूर्वी, मनुष्यानुपूर्वी, देवानुपूर्वी । तनुचतुष्क-(१) औदारिक, वैक्रिय, आहारक शरीर; (२) औदारिक, वैक्रिय, आहारक अंगोपांग, (३) सम चतुरस्र, न्यग्रोधपरिमंडल, सादि, वामन, कुब्ज, हुण्ड संस्थान; (४) वज्रऋषभनाराच, ऋषमनाराच, नाराच अर्धनाराच, कीलिका, सेवात संहनन । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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