Book Title: Karmagrantha Part 6 Sapttika
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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सप्ततिका प्रकरण
प्रमत्तसंयत के बंध, उदय और सत्ता स्थानों व संवेध का विवरण
निम्नानुसार जानना चाहिये
३३८
बंधस्थान
२८ प्रकृतिक
२६ प्रकृतिक
२
भंग
८
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८
१६
उदयस्थान
२५
२७
२८
२६
३०
२५
२७
2
२८
२६
३०
भंग
४
४
१४६
४
४
१४६
३१६
सत्तास्थान
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६२,८८
६२, ८८
६२,८८
६२,८८
६२, ८८
६३, ८६
६३,८६
६३, ८६
६३, ८६
६३, ८६
(७) अप्रमत्तसंयत गुणस्थान
प्रमत्तसंयत गुणस्थान के बंध, उदय और सत्तास्थानों को बतलाने के बाद अब अप्रमत्तसंयत गुणस्थान के बंध आदि स्थानों को बतलाते हैं कि 'चउदुग चउ' - चार बंधस्थान, दो उदयस्थान और चार सत्तास्थान हैं । चार बंधस्थान इस प्रकार हैं- २८, २६, ३० और ३१ प्रकृतिक । इनमें से तीर्थंकर और आहारकद्विक के बिना २८ प्रकृतिक बंध
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