Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 11
________________ कर्मग्रन्थ भाग चार रविअसंनि दुअना, पदंसण इगिबितियावरि अचक्स् । तिअनाण दंसणदुर्ग, अनातिमअभवि मदुगं ६.२२ केवलयुगे नियदुगं, नव तिअनाण विणू खइय अहलाये । दंसणनाणतिगं बे-सि मीति अन्नाणमीसं तं मणनाणचववज्जा, अणहारि तिनि दंसण च 'चडनाणसं जोबस, - भवेय ओहिद य दो तेर तेर बारस, मणे कमा अट्ठ दृ च च दु पण तिति काये, जियगुणजोगोत्र ओगन्ने छसु लेसासु सठाणं, एगिदिअसंनिभुदगवणेसु । पउमा चउरो तिम्नि उ. नारयगिलग्गिपवणेसु अहायहम केवल - दुगि सुक्का छाबि सेसठाणेसु 1 नरनिरयदेव तिरिया, धोवा तु असंखणंतगुणा पणचतिदुगिदि योवा तिन्निहिया अनगुणा । तस थोव असंखगी, भूजलानिल अहिय वण णंता मणवयणकाय जोगा, योषा असंखगुण अनंतगुणा । पुरिसा थोवा इत्थो संखगुणावगुण कोवा माणी कोहो माई, लोही अहिय मगनाणिणो यदा । ओहि असखा मसुय. अहियसम असख विभंगा केवलिणो पंतगुणा, महसुयअन्त्राणि पंतगुण सुल्ला । सुहुमा थोया परिहार संख अलाय संखगुणा छेयसमईय संखा देस अवगुण अंतगुण अजया धोबअसंखदता ओहियण केवल अचफ्लू १३७॥ ॥३८॥ ३६ ॥४०॥ ! ।। ३३ ।। नाणा | वयणं । ।। ३४ ।। ।। ३५ ।। ॥३६॥ १४१॥ I૪ll

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