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(८ ) विहार के समय भी आप अगले गांव तक साथ गए और बड़े भाई से एक दिन और साथ रहने की आज्ञा लेकर साथ रह गए। आपको वास्तविक इच्छा तो उनके साथ ही रहने की थी। अतः इस बार आप घर न लौटे। मुनिराजों के साथ अहमदाबाद पहुँच गए। खीमचंद भाई को मालूम हुआ, वे तुरन्त अहमदाबाद पहुंचे और आपको ज़बरदस्ती घर ले आए। ___ अब अन्तर्द्वद समाप्त हो चुका था। सच्ची लगन थी। वैराग्य की तीव्र भावना थी, किन्तु दूसरे लोग क्या समझें ? किसी के दिल की कोई क्या जाने ?
बड़े भाई तथा परिवार वालों को मोह था। वे आपको छोड़ना नहीं चाहते थे। इधर आप पर जो कुछ बीतती थी, उसे आप ही जानते थे। यद्यपि आपको विवश होकर घर पर ठहरना पड़ा, परन्तु दिल तो आप का मुनिराजों की सेवा में ही था। ... दो एक बार आपने आज्ञा लेने के लिये प्रयत्न किया किन्तु बड़े भाई के तके के आगे कुछ पेश न चली। अब आपने सीधा रास्ता पकड़ा। साधु के जो कुछ नियम हैं और धार्मिक कृत्य प्रतिक्रमण, सामासिक, पौषध, आयबिल, उपवास इत्यादि हैं, उनका पालन घर पर रह कर ही करने लगे। बड़े भाई को ये बातें भी खटकने
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