Book Title: Kalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Author(s): Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publisher: Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur

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Page 160
________________ (१४९) लालजी के संबंधी, मित्र तथा अन्य निमन्त्रित महाशय, रियासत के दीवान साहिब तथा इतर अधिकारो वमे विराजमान थे। पास ही योग्य स्थान पर स्वयं आचार्य महाराज और श्री विजयललितमूरिजी तथा दूसरे मुनि महाराजाओं के साथ शोभायमान थे। सामने मंच पर श्रीमान् नवाब साहिब मुर्तिजाअलीखां साहिब बाबी और उनके भतीजे के लिये सुंदर बहुमूल्य कुर्सियों का प्रबंध किया गया था। . नवाब साहिब के सभापति का आसन ग्रहण करने पर सेठजी ने उस दिन वहां एकत्र होने का कारण बताया। नवाब साहिब यह जान कर बड़े प्रसन्न हुये कि उनकी रियासत में, उनके शहर में, उन्हीं की प्यारी जनता में से एक नव युवक उत्साही धनवान ने जैनजाति के विद्यार्थियों के लिये एक महल सरीखा बोर्डिङ्ग हाऊस ४५००० रुपये की लागत से बनवाया है और उसके खर्च के लिये ७५००० रुपये भी प्रदान किये हैं और इसके अतिरिक्त और भी यथाशक्ति योग्य सेवा करने का वचन दिया है। जब बोर्डिङ्ग हाऊस का, जिसका नाम 'ईश्वरलाल अमुलखदास मोरविया जैन बोर्डिंग हाउस' रखा गया है, श्रीमान् नवाब साहिब उसका उद्घाटम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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