Book Title: Kalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Author(s): Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publisher: Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur

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Page 172
________________ (१६१ ) धनीधन से और विद्वान् अपने परामर्श से इन संस्थाओं को उन्नत करने में भरसक प्रयत्न करें। आपने कहा कि इस प्रयास से संबन्धित आर्थिक समस्या का निराकरण भो आसान नहीं। समाज के बालकों की मानसिक, शारीरिक तथा धार्मिक उन्नति के उद्देश्य को लेकर ही यह संस्था खोली जा रही है और इससे केवल पंजाब का हो हित नहीं होगा प्रत्युत अन्य प्रॉन्तों का भी हित अभीष्ट है। अतः इसके लिये कम से कम दो लाख का फंड होना चाहिये जिसमें से ५० हजार के लगभग तो जमा हो चुका है, शेष में से ५० हजार अम्बाला वाले देवें, ५० हजार पंजाब का श्री संघ इकट्ठा करे और शेष ५० हजार भारत के दूसरे प्रान्तों से मिल जाने की आशा की जा सकती है । आपके व्याख्यान का एक एक अक्षर श्रोताओं के हृदय में उतरता गया और इससे कार्यकर्ताओं को खब प्रोत्साहन मिला। सायंकाल को दूसरी बैठक ५ बजे शाम को आरम्भ हुई। कॉलेज के मैनेजर महोदय ने अपनी रिपोर्ट उपस्थित की और बतलाया कि किस प्रकार सन् १९०१ में श्री आचार्य महाराज के सदुपदेश से स्थापित एक साधारण सी पाठशाला आज कॉलेज के उच्च श्रेणी (स्टेण्डर्ड) तक पहुँची है। आपने हृदय से स्वीकृत किया कि यह सब कुछ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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