Book Title: Kalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Author(s): Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publisher: Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur

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Page 173
________________ ( १६२) श्री आचार्य महाराज की असीम कृपा का ही उज्ज्वल परिणाम है। आपने कॉलेज के वर्तमान प्रबन्ध, स्टॉफ झादि की विशेषताओं से उपस्थित जनता को परिचित कराते हुये कॉलेज की आवश्यकताओं की ओर उनका ध्यान आकृष्ट किया और दो लाख रुपयों की स्थायी पूँजी के लिये अपील की। श्री गुलाबचंदजी ढड़ा, एम. ए. ने रिपोर्ट का अनुमोदन किया। फिर कॉलेज के विद्यार्थियों को पारितोषक वितरण करने के पश्चात् प्रधानजी की तरफ से कॉलेज के लिये १००० रुपये के दान की उद्घोषणा की गई, इसके लिये कमेटी प्रधानजी श्री कस्तूर भाई की सर्वथा कृतज्ञ रहेगी। रात की बैठक में बाहर से आने वाली भजन मण्डलियों ने अपने गुरुभक्ति से परिपूर्ण सुरीले और रसीले संगीत से जनता का मनोरञ्जन किया और उत्सव की रौनक को बढ़ाया। ताः२१ जून प्रातः काल ८ बजे तीसरी बैठक प्रारम्भ हई। इसके सभापति कॉलेज के सुपरिचित दानवीर सेठ कान्तिलाल ईश्वरलाल मोरखिया निर्धारित हुये। आपने अपनी छोटी सी आयु में अपने शिक्षा, समाज सेवा संबन्धी और लोकोपयोगी कार्यों द्वारा जो लोकप्रियता प्राप्त की है उसका सब जैन संघ को अभिमान है। आपको अंबाला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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