Book Title: Kalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Author(s): Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publisher: Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur

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Page 180
________________ ( १६९ ) पंजाब में एक बार फिर जोर शोर के साथ धार्मिक और सामाजिक उन्नति के कार्य होने लगें । अब साढौरा ( जिला अम्बाला ) में आपके उपदेश से निर्मित जिन मंदिर का प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया जायगा | यहां साढौरा में और फिर दो मास पश्चात् बड़ौत ( जिला मेरठ ) में आपके हो उपदेश से बने जिन मंदिर का प्रतिष्ठा कार्य भी आप ही के कर-कमलों से होने वाला है । इन दोनों कामों से निमट कर आपका संकल्प पंजाब में विचरने और श्री आत्मानन्द जैन गुरुकुल - गुजरांवाला (पंजाब) के अत्यावश्यक काय्यों को, जो आपके आने तक के लिये स्थगित पड़े थे, करने का है । यह बार बार कहने की आवश्यकता नहीं कि पंजाब का उद्धार वर्त्तमान समय में आप ही के द्वारा हुआ और हो रहा है और आप ही पंजाब केसरी तथा पंजाब देशोद्धारक के विरुद को सफल करके अपने स्वर्गवासी गुरु महाराज श्री आत्मारामजी महाराज के वचनों को सफल करके किंचित् मात्र उऋण होने का सतत् परिश्रम कर रहे हैं । शासनदेव से प्रार्थना है कि आपकी आयु सुदीर्घ हो, आपको जैन समाज पर उपकार करने और इसकी उन्नति के साधन जुटाने के अवसर प्राप्त होते रहें । अस्तु ! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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