Book Title: Kalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Author(s): Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publisher: Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur

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Page 178
________________ ( १६७ ) उपलक्ष में अपने पूज्य पिता श्री मोतीलाल मूलजी की स्मृति में दिये । सायंकाल की अंतिम बैठक में जैन मिडिल स्कूल के विद्यार्थियों को सेठजी ने पारितोषक वितरण किये और इसी समय श्रीमती शकुन्तलादेवीजी, सुधर्मपत्नी सेठकान्तिलाल ईश्वरलाल ने वल्लभ वाटिका का उद्घाटन करते. हुये १०००) रु० इस वाटिका के निमित्त दान दिये । इस उत्सव के अवसर पर भिन्न २ कार्यों के लिये कॉलेज को लगभग बीस हजार रुपया दान प्राप्त हुआ: जिसके लिये श्री संघ अम्बाला तथा कार्य कमेटी, दाताओं का हृदय से आभार मानती है । अम्बाला शहर के इतिहास में ये तीन महोत्सव सर्वदास्मरण रहेंगे । एक बार फिर कह देना, कि यह सब कुछ गुरुकृपा का ही प्रसाद है, अनुचित न होगा । श्री शासनदेव से प्रार्थना है कि श्री आचार्य महाराजश्री विजयवल्लभसूरिजी के हाथों इसी प्रकार और भी जैन धर्म ... तथा जैन समाज के नाम को देदीप्यमान करने वाले अनेकों कार्य्य होते रहें । वल्लभ दीक्षा- अर्द्ध-शताब्दि महोत्सव पंजाब भर में मनाया गया और गुजरात, मारवाड़, मेवाड़, दक्षिणादि देशों में भी मनाया गया । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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