Book Title: Kalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Author(s): Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publisher: Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur

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Page 175
________________ (१६४ ) के विद्यार्थियों ने बैंड के साथ व्यायाम का मनोहर दृश्य दिखाया। गुरुकुल के एक दूसरे विद्यार्थी ने कई प्रकार की कसरतें दिखाई। देर हो जाने से अन्य स्थानों से माये हुये विद्यार्थी अपने २ करतब न दिखा सके। इस समय की छटा भी दर्शनीय थी। रात को भजन मण्डलियों ने संकीर्तन किया। वैसे तो प्रत्येक भजन मण्डली का धर्म-प्रेम तथा गुरुभक्ति सराहनीय थी परन्तु नोरावाल की भजन मण्डली के बालकों के मनोहर संगीत को लोगों ने बहुत पसंद किया। तीसरे दिन २२-६-३८ को श्रीमद् विजयवल्लभसूरिजी महाराज को दोक्षा-अर्द्ध-शताब्दि का उत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाया गया। इस सभा के सभापति श्रीयुत् सेठ सकरचन्द मोतीलाल मूलजी, बम्बई निर्वाचित हुये। यह चुनाव भी सर्वथा उचित ही था। श्री सकरचन्द के पिता श्री सेठ मोतीलाल और आचार्य महाराज कभी सहपाटी थे। श्री आचार्य महाराज की दीक्षा का कार्य भी ५२ साल पहले उन्हीं के हाथों संपादित हुआ था। श्री संघ अंबाला की तरफ से आपको आपकी धर्माभिरुचि और आपके शिक्षा सम्बन्धी तथा अन्य लोकोपयोगी कार्यों के उपलक्ष में मानपत्र दिया गया। तत्पश्चात् श्री आचार्य वर्य की सेवा में श्री आत्मानन्द जैन महासभा (पंजाब) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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