Book Title: Kalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Author(s): Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publisher: Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur

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Page 171
________________ द्वारा आने वाले महानुभावों का अभिनन्दन किया गया। इस बैठक के प्रधान श्रीयुत् कस्तूरभाई लालभाई निर्वाचित हुये। उनके सभापति का आसन ग्रहण करने पर उनकी सेवा में 'अभिनन्दन पत्र' (Address) पेश किया गया। - तत्पश्चात् श्री सभापति महोदय ने अपने कर-कमलों से कॉलेज का उद्घाटन किया। आपने अपने व्याख्यान में समस्त भारतवर्ष में पहले जैन कॉलेज के खुलने पर प्रसन्नता प्रकट की और कार्यकर्ताओं को उनके प्रयास के लिये बधाई देते हुये यह भी अनुरोध किया कि इस कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को स्वावलम्बी बनाने के लिये औद्योगिक शिक्षा का भी समावेश किया जावे। उपस्थित सज्जनों ने आपके विचारों को बहुत पसंद किया । . तदनन्तर श्री आचार्य महाराज का मनोहर उपदेश हआ। आपने संक्षेप से बताया कि धर्माचार्य होते हुये समाज की उन्नति के उपायों में यथोचित योग देना सर्वथा इष्ट ही है। स्वर्गवासी गुरु महाराज को अन्तिम अभिलाषा सरस्वती मंदिर बनाने की थी। उसे आज 'श्री आत्मानंद जैन गुरुकुल गुजरांवाला' और 'श्री आत्मानन्द जैन कॉलेज, अम्बाला शहर' आदि शिक्षण-संस्थाओं के रूप में सफल हुई देख कर उन्होंने समाज को बधाई दी और कहा कि इस महत् कार्य में सबको यथाशक्ति आत्मभोग देना चाहिये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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