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( १५९) सकल श्रीसंघ के साथ आचार्य महाराज की सेवा में उपस्थित हुये और जुलूस वापिस शहर की तरफ बैंड बाजों व भजन मंडलियों के साथ बड़ी धूम धाम से चला।... - आचार्य महाराज के निकटतर रहने के लिये भजन मण्डलियों की स्पर्धा देखने योग्य थी। जिस उत्साह से गुरु महाराज की स्तुति करती हुई भजन मंडलियां अपनी अनुपम गुरुभक्ति का परिचय दे रही थीं, उसे देखकर दर्शकों के मुख से स्वतः “वाह-वाह" की ध्वनि निकल रही थी। 'जैन धर्म, महावीर स्वामी, विजयानन्दमूरि तथा पंजाब केसरी श्री विजयवल्लभ सूरि महाराज की जय' की गूंज आकाश तक पहुँच रही थी। .
शहर के बड़े २ बाजारों में से, जो दरवाजों, झंडियों और बंदनवारों से सजे हुये थे, निकल कर जुलूस श्री मन्दिरजी के पास पहुँचा। श्री आचार्य महाराज साधुमण्डल के साथ श्रीमन्दिरजी में भगवान् के दर्शनार्थ पधारे। इतने में जुलूस में शामिल होने वाले विद्यार्थियों और बैंडवालों का मिठाई आदि से सत्कार किया गया। दस बजे के बाद जुलूस कॉलेज ग्राउण्ड के निर्मित मण्डप में पहुँचा। जहां इस भारी मेदिनी के लिये शामियाना लगा हुआ था और लाउड स्पीकरों का भी प्रबन्ध किया गया था। जनता के आराम से बैठ जाने पर भजन और व्याख्यानों
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