Book Title: Kalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Author(s): Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publisher: Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur

View full book text
Previous | Next

Page 168
________________ विहार कर ग्रामानुग्राम विचरते हुये थोड़े ही दिन पहले यहां पहुँच गये थे। आचार्य महाराज के १३ वर्ष पश्चात् पंजाब में पुनः पधारने पर पंजाबियों को जो खुशी होरही थी उसका वर्णन करने को लेवनी में शक्ति नहीं। उसका विवरण समाचार पत्रों में छपा था। उसे ही यहां उद्धत कर देना काफी होगाः जैनाचार्य श्रीमद्विजयवल्लभ सूरीश्वरजी __महाराज का पञ्जाब में प्रवेश श्री आस्मानन्द जैन कॉलेज अम्बाला (शहर) का उद्घाटन और वल्लभ-दीक्षा-अर्द्ध शताब्दी महोत्सव - यह बात अब जगत् प्रसिद्ध हो चुकी है कि स्वर्गवासी मुरु महाराज न्यायाम्भोनिधि श्री १००८ श्रीमद्विजयानन्द सूरिजी (आत्मारामजी) महाराज के पश्चात् पंजाब क्षेत्र पर जितना उपकार श्री विजयवल्लभमूरिजी महाराज ने किया है उतना किसी दूसरे व्यक्ति ने नहीं किया। अतः जिस दिन से पंजाब को यह शुभ समाचार मिला कि आचार्य महाराज १३-१४ वर्ष के बाद फिर पंजाब पधारने वाले हैं उसी दिन से पंजाब का जैन बच्चा बच्चा अपने प्रियतम के स्वागत के लिये अपनी शक्ति भर परिश्रम करने लगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182