________________
मुव्यवहार के कारण हिन्दु मुसलमान सभी लोग जुलूस में शामिल हुये। यहां देहली के भाई विनती के लिये आये।
देहली का प्रवेश तो चिर स्मरणीय हुआ ही करता है। इस बार भो अपूर्व उत्साह दिखाई देता था। यहाँ प्रसिद्ध धर्मात्मा मुनि श्रीदर्शनविजयजी, श्री ज्ञानविजयजी तथा श्रीन्यायविजयजी महाराज जो प्रायः त्रिपुटी के नाम से विख्यात हैं, विराजमान थे। उनसे मिलाप हुआ जिसका जनता पर श्लाघनीय प्रभाव पड़ा। देहली के साहसी और श्रद्धालु श्रावक स्वर्गीय श्रीमान् टीकमचंदजी की धर्मपत्नी श्रीमती भूरीबाई ने उद्यापन किया। उस अवसर पर अजमेर निवासी श्रीयुत् हमीरमलजी लूणियां ने चतुर्थ व्रत (ब्रह्मचर्य का व्रत) अंगीकार किया और सिकन्दराबाद निवासी श्रीयुत् सेठ जवाहरलालजी नाहटा की धर्मपत्नी ने १२ व्रत अंगीकार किये।
यहां ज्येष्ठ मुदि ८ को श्री गुरु महाराज की जयन्ती बड़ी धूम धाम से मनाई गई। लोगों को इस अपूर्व अवसर का लाभ बहुत दिन के पश्चात् पिला। परन्तु एक दुर्घटना के होजाने से लोगों का मन तुब्ध होगया। जयन्ती उत्सव पर कस्तला (जि. मेरठ) के जैन कवि श्रीयुत कन्हैयालालजी भी गुरु भक्ति से प्रेरित हो आचार्य महाराज के दर्शनार्थ यहां पधारे। आपकी तबीयत कुछ दिनों
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org