Book Title: Kalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Author(s): Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publisher: Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur

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Page 162
________________ ( १५१ ) मोहनलालजी ने ज्ञान मंदिर के मकान के लिये ५१०००) रुपये दिये । J पाटण के पास ही चारूप तीर्थ है। आप वहां की अति प्राचीन और प्रभाविक मूर्ति के दर्शन करने के लिये पधारे। वहां भी पूजा- प्रभावना हुई। यहां से कल्याणा होकर मैत्राना पधारे। पाटण का संघ वहां तक आपकी सेवा में उपस्थित रहा । पालनपुर के नगर सेठ श्रीमान् चिमनभाई मंगलभाई आदि कई सज्जन विनती के लिये आये । पाटण से साथ आये हुये पंन्यासजी श्री नेमविजयजी आदि मुनि महाराज वापस पाटण को लौट गये और आचार्य महाराज ने पालनपुर की ओर विहार किया । पालनपुर में विश्राम करके श्रीसंघ को उत्साहित किया । विहार के समय श्रीमान् नवाब साहिब उपाश्रय में दर्शनार्थ पधारे। यहां से आप मालण पधारे, जहां के निवासी बहुत वर्षों से आपके दर्शनों के लिये लालायित होरहे थे । आपके पधारने से उनकी चिरकाल की इच्छा पूर्ण हुई और वहां पूजा प्रभावना आदि धर्म क्रियाओं से उनका उत्साह बढ़ा । संघ के साथ विहार कर आप दाँता, कुंभारियाजी होकर खराड़ी ( माऊंट आबू की तलहटी में गांव है ) पहुँचे। यहां से श्री विजयललित सूरिजी महाराज उमेदपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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