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(११९ ) लोढण पार्श्वनाथजी की प्रतिष्ठा कराने के लिये विनती हुइ जो श्री विजयनेमि मूरिजी की सम्मति से स्वीकृत हुई। यहां से श्री विजयनेमि मूरिजी महाराज ने मारवाड़ की ओर विहार किया।
हमारे पूज्यपाद आचार्य महाराज अहमदाबाद पधारे, वहां चातुर्मास करने के लिये विनती हुई । आपने उचित जान कर वहां चातुर्मास करने का भाव स्थिर किया। वहां से आप डभोई गये। वहां वैशाख सुदि ६ के शुभ दिन धूमधाम से प्रतिष्ठा हुई। पुनः चौमासे के लिये अहमदाबाद आना हुआ। श्री गुरु महाराज की जयन्ती का महोत्सव यहां ही मनाया गया। चातुर्मास में श्री आत्मानन्द जन्म शताब्दि फंड तथा अम्बाला में श्री आत्मानन्द जैन कॉलेज स्थापित होने की सूचना देते हुये उसके लिये पर्याप्त फंड इकट्ठा करने का उपदेश दिया। इसके अतिरिक्त और भी अनेक धर्म कार्य हुये। यहां श्रावण वदि १४ को आपके प्रशिष्य मुनि सागरविजयजी का स्वर्गवास हुआ। .
चौमासे बाद यहाँ कपड़वंज से एक दीक्षा लेने वाली श्राविका प्रधानबाई तथा उसके सगे सम्बन्धी विनती के लिये आये। अहमदाबाद से कपड़वंज जाते हुये रास्ते में बारेजड़ी में बंबई के सेठ रणछोड़भाई, श्री मोतीचंदजी गिरधर कापड़िया आदि भाई बंबई में चातुर्मास करने की
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