Book Title: Kalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Author(s): Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publisher: Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur

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Page 138
________________ ( १२७ ) श्रद्धा और भक्ति छलक रही थी और उनके इस प्रकार के भावों के प्रदर्शन के लिये प्रत्येक व्यक्ति उनकी श्लाघा किये बिना नहीं रह सकता। - पूजनीय जैनाचार्य जिनका शताब्दि महोत्सव इन दिनों में मनाया गया, पंजाब में उत्पन्न हुये थे। उनके जीवन का मुख्य भाग गुजरात में बीता, जहां उन्होंने जैनों के उत्थान के लिये भांति २ की संस्थायें और सुधारक समाज कायम करके एक बड़ा ही शानदार काम किया। - गुजरात के जैनों का भाव था कि ऐसे महात्मा का शताब्दि महोत्सव मनाना उनका कर्त्तव्य ही है और इस कार्य के लिये गायकवाड़ राज्य की राजधानी बड़ौदा को ही उपयुक्त समझा गया। इस अवसर पर बहुत से विद्वत्तापूर्ण व्याख्यान हुये। यह उत्सव बड़ौदा के लक्ष्मी प्रताप थियेटर में हुआ। पंडाल जैन मुनिराजों के चित्रों और रंग बिरंग की झंडियों और पताकाओं से सजाया गया था। . श्री वल्लभविजयजी, श्री कान्तिविजयजी और श्री हंसविजयजी महाराज और अन्य साधु महाराजों के फोटो लग रहे थे। पंजाब जैन गुरुकुल की मण्डली के संगीत से उत्सव कार्य प्रारंभ हुआ। यह उत्सव पंजाब में होना था। मगर पूज्य प्रवर्तकजी श्री कान्तिविजयजी महाराज के कारण . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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