Book Title: Kalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Author(s): Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publisher: Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur

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Page 157
________________ . . . (१४६) राम ने अपने यहां पधारने के लिये निवेदन किया। आप जब वहां पधारे तो डॉक्टर महाशय ने अपने मकान पर उत्सव करके अपनी धर्मपत्नी सहित चौथे व्रत (ब्रह्मचर्य) का नियम लिया। आचार्य महाराज ने इस व्रत की व्याख्या करके सब पर अच्छा प्रभाव डाला। आप फिर कीकाभट की पोल वालों की प्रार्थना पर वहां पधारे। वहां सेठ फूलचंद गुलाबचंदजी ने चौथा व्रत लिया और इनके अतिरिक्त और भी श्रावक श्राविकाओं ने व्रत ग्रहण किये। । इस शुभ अवसर पर श्रीमान् सेठ साहिब ने २५० तोले चाँदी की जिन मूर्ति बनवा कर उम्मेदपुर के श्री पार्श्वनाथ उम्मेद जैन बालाश्रम को भेट की। शाहपुर के भाइयों में कुछ वैमनस्य था। आपके उपदेश से वह कलह भी मिट गया। फिर शामला की पोल में आपका पधारना हुआ। वहां पब्लिक व्याख्यान हुआ। . .. ___अहमदावाद से बिहार कर आप श्रीयुत् सेठ मगनलाल ठाकुरसी के बंगले पर पधारे। सेठ कस्तूरचंद लालभाई आदि कई सज्जन दर्शनार्थ पधारे। .. - यहां से वलाद आदि स्थानों को पावन करते हुये आप सेरिसा पहुँचे। अहमदाबाद के भाई यहां भी दर्शन करने आये। यहां से आप राधनपुर जाते A " .. ..... . . . . ..-..-. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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